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“भाजपा स्थापना दिवस” पर जानिए अपने पहले चुनाव से BJP यहां तक कैसे पहुंची?

लखनऊः 1980 का साल था। लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी को जनता ने नकार दिया। 1977 में 295 सीटें जीतने वाली जनता पार्टी 3 साल बाद महज 31 सीटों पर सिमट गई। हार का दोष पार्टी में शामिल उन लोगों पर मढ़ने की कोशिश की गई, जो जनसंघ से जुड़े हुए थे।

4 अप्रैल को दिल्ली में जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक अहम बैठक हुई। इसमें फैसला हुआ कि पूर्व जनसंघ के सदस्यों को पार्टी से निकाल दिया जाए। निष्कासित किए जाने वाले नेताओं में अटल और आडवाणी भी थे।

इसके ठीक दो दिन बाद यानी 6 अप्रैल 1980 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में एक नए राजनीतिक दल की घोषणा हुई। इसका नाम था- भारतीय जनता पार्टी। आज इस ऐतिहासिक घटना को 42 साल पूरे हो चुके हैं।

1. राम जन्मभूमि आंदोलन
1986 में लालकृष्ण आडवाणी को BJP का अध्यक्ष चुना गया। उस दौरान विश्व हिंदू परिषद अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन चला रही थी। BJP की राजनीति को यहीं से जमीन मिली। पार्टी ने इसका जमकर समर्थन किया। इसका असर ये हुआ कि 1984 में 2 सीटें जीतने वाली पार्टी 1989 में 85 सीटों पर पहुंच गई। सितंबर 1990 में आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर के समर्थन में एक रथ यात्रा की शुरुआत की। 1992 में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुना दिया। फिलहाल, अयोध्या में मंदिर निर्माण हो रहा है।

2. कश्मीर मुद्दा
जनसंघ जो बाद में भाजपा बनी, उसके अग्रणी नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को भारत का ‘अभिन्न अंग’ बनाने की वकालत करते थे। अगस्त 1952 में जम्मू में उन्होंने विशाल रैली की। कहा- या तो मैं आपको भारतीय संविधान दिलाउंगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन बलिदान कर दूंगा। BJP इस मुद्दे को थामे रही। नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार सत्ता संभाली तो 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पास कराया गया। इसी के साथ BJP के मैनिफेस्टो का एक जरूरी वादा पूरा हुआ।

3. परिवारवाद की खिलाफत
BJP शुरुआत से ही परिवारवाद के खिलाफ रही है, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी ने इसे जोर-शोर से उठाया। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद, जातिवाद, सांप्रदायिकता और मौकापरस्ती को लोकतंत्र के चार दुश्मन बताया। आज भी पार्टी में बड़े स्तर पर परिवारवाद या वंशवाद मौजूद नहीं है और खुलकर इसकी आलोचना होती है। हालांकि, छोटे स्तर पर इस नीति में फ्लेक्सिबिलिटी आई है।

4. गोहत्या की खिलाफत
BJP हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की फिलॉसफी से चलती है, इसलिए गाय और गोवंश का मुद्दा इसकी प्राथमिकता में रहता है। केंद्र से लेकर अलग-अलग राज्यों में BJP की सरकार बनने पर गोहत्या रोकने की कोशिश की गई है। अटल सरकार ने गो पशु आयोग बनाया। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गोहत्या पर पूरी तरह से रोक लगा दी। 26 मई 2017 को मोदी सरकार ने पशु बाजारों में हत्या के लिए मवेशियों की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी, लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

5. भ्रष्टाचार
भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़ा, उनमें भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा था। UPA सरकार के दौरान हुए घोटालों और विदेशों में जमा कालेधन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। जनता ने भरोसा करते हुए BJP को जमकर वोट किया।

2014 में नरेंद्र मोदी के आने के बाद BJP में एक नए युग की शुरुआत हुई। नए टूल्स और स्ट्रैटजी को अपनाया गया। इसका असर ये हुआ कि BJP इलेक्शन जीतने की मशीन बन गई। आगे कुछ पॉइंट्स में हम BJP के ऐसे ही टूल्स और स्ट्रैटजी पर बात करेंगे…

1. पकड़ में न आने वाले संदेश
BJP की जीत में पकड़ में न आने वाले संदेशों का बड़ा योगदान है। हम मीडिया और सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को तो देख सकते हैं, लेकिन वॉट्सऐप ग्रुप में क्या परोसा जा रहा है, ये पकड़ से बाहर है। इन ग्रुप्स में किसी भी मुद्दे को ऐसे प्रेजेंट किया जाता है, जिससे BJP के पक्ष में हवा बन सके। इसमें हेट स्पीच भी शामिल होती है, जिनकी कोई मॉनिटरिंग नहीं की जाती।

2. जाति आधारित राजनीति को हाशिए पर धकेला
BJP ने परम्परागत जाति-आधारित राजनीति को भी हाशिए पर धकेला है। ऐसा नहीं है कि भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग और जाति समीकरणों को छोड़ दिया है, उसने उन्हें केवल ऐसे सांचे में ढाला भर है कि पार्टी को किसी एक जाति से जोड़कर न देखा जाने लगे।

इसके बजाय वह हिंदुत्व की बात करती है- यह एक ऐसा राजनीतिक विचार है, जिसमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद शामिल है। इसके बूते पार्टी ने अपने सामाजिक आधार को विस्तार दिया है

3. गरीबों से जुड़ी हुईं योजनाएं
BJP के बढ़ते प्रभाव के पीछे गरीबों से जुड़ी हुई योजनाएं भी हैं, जिनका मकसद सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग तैयार करना है। BJP ने टॉयलेट, रसोई गैस, मुफ्त राशन, मुफ्त वैक्सीन और आवास जैसी सुविधाएं देने को अपना राजनीतिक एजेंडा बनाया है। किसी भी राज्य में चुनाव से पहले BJP सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को बुलाकर बड़ी-बड़ी रैलियां करती है। ये टूल गेमचेंजर साबित हुआ है।

4. केंद्रीय शख्स के इर्द-गिर्द पूरी ब्रांडिंग
BJP के शुरुआती दिनों से ही एक केंद्रीय चेहरे के इर्द-गिर्द पूरी ब्रांडिंग होती थी। पहले ये चेहरा अटल बिहारी वाजपेयी थे। 2014 के बाद ये नरेंद्र मोदी बन गए। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अखबारों के विज्ञापन में नरेंद्र मोदी की बड़ी-बड़ी तस्वीर लगती थी। सत्ता में आने के बाद सभी योजनाओं में पीएम मोदी की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगाई गईं। छोटी-बड़ी हर अचीवमेंट का क्रेडिट उन्हें दिया गया।

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