नई दिल्ली। दुनिया में सबसे ऊंचा स्थान अगर किसी का होता है तो वो है आपके गुरु का। गुरु के प्रति इस आदर सम्मान को व्यक्त करने के लिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। भारतवर्ष में कई विद्वान गुरु हुए हैं, किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी। बता दें, गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था।वह संस्कृत के बहुत बड़े विद्वान थे जिन्होंने चारों वेदों की रचना की थी।
गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने दिया था अपना पहला उपदेश
यह भी माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने उत्तर प्रदेश में सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
क्या होता है गुरु का अर्थ
बता दें,गुरु’ शब्द संस्कृत के दो शब्दों ‘गू’ और ‘रू’ से बना है। ‘गू’ का अर्थ होता है अंधेरा या अज्ञानता और ‘रू’ का तात्पर्य है ‘निवारण’. यानी गुरु का अर्थ हुआ एक ऐसा व्यक्ति जो अज्ञानता रूपी अंधकार को जीवन से मिटा दे। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनका आर्शीवाद लेते हैं।
हमारे देश में इस पर्व का है खास महत्व
गौरतलब है कि, भारत में इस पर्व का खास महत्व है। भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।नेपाल में गुरु पूर्णिमा के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है और इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।