देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले से दिल दहला देने वाली खबर सामने आ रही है। जहां रैनी क्षेत्र में एक ग्लेशियर फटने की सूचना है। कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी किनारे बसे लोग अपने मकान खाली करके भाग रहे हैं। ग्लेशियर फटने से धौली नदी में बाढ़ आ गई है। इससे चमोली से हरिद्वार तक खतरा बढ़ गया है। सूचना मिलते ही प्रशासन की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। वहीं, चमोली जिले के नदी किनारे की बस्तियों को पुलिस लाउडस्पीकर से अलर्ट कर रही है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिव आपदा प्रबंधन और डीएम चमोली से पूरी जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री लगातार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।सीएम खुद घटनास्थल का हवाई सर्वेक्षण भी कर सकते हैं। चमोली जिले के सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। वहीं, आला अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई जा सकती है।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि चमोली ज़िले से एक आपदा का समाचार मिला है। ज़िला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने की आदेश दे दिए हैं। किसी भी प्रकार की अफ़वाहों पर ध्यान ना दें । सरकार सभी ज़रूरी कदम उठा रही है। टिहरी के अपर जिलाधिकारी शिव चरण द्विवेदी ने बताया कि धौली नदी में बाढ़ आने की सूचना मिलने के बाद जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसके साथ ही हरिद्वार जिला प्रशासन ने भी अलर्ट जारी कर दिया है।
ग्लेशियर फटने की घटना से नदी किनारे बसी आबादी को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। ऋषिकेश व हरिद्वार में भी अलर्ट जारी किया गया है। अलकनंदा का जल स्तर बढ़ने पर अतिरिक्त पानी छोड़ने में दिक्कत न हो। चमोली पुलिस के मुताबिक काफी नुकसान की सूचना आ रही है। लेकिन अभी स्थिति स्पष्ट नहीं। टीम मौके पर जा रही है, उसके बाद ही नुकसान की स्थिति स्पष्ट होगी। बताया जा रहा है कि ग्लेशियर फटने के बाद बांध क्षतिग्रस्त हुआ। जिससे नदियों में बाढ़ आ गई है।तपोवन बैराज पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।
श्रीनगर में प्रशासन ने नदी किनारे बस्तियों में रह रहे लोगों से सुरक्षित स्थानों में जाने की अपील की है। वहीं, नदी में काम कर रहे मजदूरों को भी हटाया जा रहा है। घटना को देखते हुए लोगों से अपील की जा रही है कि गंगा नदी के किनारे न जाएं।