नई दिल्ली। कोरोना की तीसरी लहर के बीच डाक्टरों का कहना है कि अब हमें इसी के साथ जीना सीखना होगा। डाक्टरों का मानना है कि लोगों को सावधानी बरतते हुए इसी के साथ जीना सीखना होगा। यूरोप जनवरी 2020 से लगाए गए सभी प्रतिबंधों में ढील देने के लिए तैयार है और लोगों से अपेक्षा की जा रही है कि वे बदले हुए वातावरण के आदी हो जाएं।
कोरोना विषाणु का पता 2019 में लगा था और तब से इसके अनेक वेरिएंट अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, लैम्ड़ा और डेल्मीक्रोन सामने आ चुके हैं तथा इनमें सैंकड़ों बदलाव आ गए है, मगर अब लोगों को इनके साथ ही जीना होगा।
इन विषाणुओं की चपेट में अरबों लोग आ चुके हैं और 50 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है। दो साल पहले शुरू हुआ कोरोना संक्रमण का खतरा अभी भी नहीं टला है और ऐसा भी नहीं दिख रहा है कि यह वायरस जल्दी ही मानवता का पीछा छोड़ देगा।