अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते अभी सबसे मुश्किल दौर में हैं। कहा जा रहा है कि पाकिस्तानी नेताओं के बड़बोलेपन के कारण रिश्ते और जटिल हो गए हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ़ ने अमेरिकी दौरे पर यहाँ तक कह दिया था कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रधामंत्री इमरान ख़ान को फ़ोन नहीं करते हैं तो पाकिस्तान दूसरे विकल्पों पर काम कर सकता है।
कश्मीर के मामले में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने भी सऊदी अरब को लेकर कुछ ऐसी ही बात कही थी कि अगर सऊदी ने पाकिस्तान की मदद नहीं की तो वो दूसरे विकल्पों की तलाश करेगा। लेकिन पाकिस्तान को इस बयान क़ीमत चुकानी पड़ी थी और बीच में सेना प्रमुख को आकर स्थिति सामान्य करने के लिए काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। सऊदी अरब ने अपने क़र्ज़ों को मांगना शुरू कर दिया था।
मोईद यूसुफ़ पिछले हफ़्ते अमेरिका गए थे। इसी दौरे में उन्होंने फ़ाइनैंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था, ”अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से बात तक नहीं की है जबकि पाकिस्तान इतना अहम देश है। अमेरिका ख़ुद ही मानता है कि अफ़ग़ानिस्तान में पाकिस्तान की अहम भूमिका है, लेकिन फिर भी उपेक्षा कर रहा है। हम इस संदेश को समझने की कोशिश कर रहे हैं।”
पाकिस्तान के एनएसए के इस बयान से समझा जा सकता है कि अमेरिका के साथ उसके संबंध गंभीर सवालों के घेरे में हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग का भविष्य अंधेरे में दिख रहा है। हालांकि यूसुफ़ ने अमेरिकी दौरे के बाद कहा कि उनका अमेरिका जाना काफ़ी सकारात्मक रहा है और अमेरिका-पाकिस्तान संबंध सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। हालाँकि उन्होंने ये भी माना कि अमेरिकी अधिकारियों से उनकी बातचीत बहुत अच्छी नहीं रही। यूसुफ़ ने अपने ट्वीट में लिखा कि- दोनों पक्षों का ध्यान नतीजों पर है न कि हालात पर।”