दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक में बॉक्सिंग में कांस्य पदक जीतने वाली लवलीना बोरगोहेन का सफर आसान नही रहा है। असम के गोलाघाट जिले के दूर-दराज बारा मुखिया गांव से लेकर टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने तक उनकी कहानी अपने आप में एक मिसाल है। वह कांस्य पदक जीतने के बाद भी संतुष्ट नही हैं।
लवलीना ने मीडिया में दिए गए एक इंटरव्यू में बताय कि उन्होंने कहा है कि वह पेरिस ओलंपिर में स्वर्ण पदक जीतना चाहेंगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरा सपना अधूरा है, मैं टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने में असफल रही, मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं, मेरा लक्ष्य पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के सपने के साथ जीना है।
कैसा रहा टोक्यो ओलंपिक में लवलीना का सफर
23 वर्षीय लवलीना ने महिलाओं के 69 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता। इस स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में लवलीना का मुकाबला पूर्व विश्व चैंपियन ताइवान की निएन चिन चेन से हुआ। लवलीना ने इस मुकाबले में चिन चेन के 4-1 से करारी शिकस्त देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। लवलीना का कहना है कि वह इस लड़की से चार बार हार चुकी थीं, मैं बस इतना करना चाहती थी कि उसके खिलाफ निडर होकर मुकाबला करूं, मैं पिछली हार का बदला लेने की तलाश में थी। इसके बाद लवलीना का सफर सेमीफाइनल में थम गया था।
उन्हें इस मुकाबले में तुर्की की बुसेनाज ने शिकस्त दी जिसके बाद टोक्यो ओलंपिक उनका गोल्ड मेडल जीतने का सपना टूट गया।
टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन कर कांस्य पदक जीतने के बावजूद लवलीन बोरगोहन खुश नहीं हैं। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा, ओलंपिक में पदक जीतना खास होता है, मैंने इस दिन का सपना उस दिन से देखा था जब मैंने पहली बार मुक्केबाजी करनी शुरू की थी, पदक जीतने हमेशा मेरा लक्ष्य रहा है।
हालांकि लवलीना को पेरिस ओलंपिक में उस सपने को हासिल करने के लिए अभी लंबा सफर तय करना है। पेरिस ओलंपिक के आयोजन में अभी तीन साल का वक्त बाकी है, उससे पहले विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में उन्हें अपनी योग्यता साबित करनी होगी। लेकिन लवलीना धैर्य और दृढ़ता के महत्व को जानती हैं।