लखनऊ। बुंदेलखंड। शौर्य और संस्कार की धरती। यह धरती अपनी विरासत के अनुरूप उत्तर प्रदेश का स्वर्ग बने, यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संकल्प है। इस संकल्प के अनुसार बुंदेलखंड को केंद्र में रखकर सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही। प्रयासों की इस कड़ी में केन बेतवा लिंक परियोजना भी जुड़ गई। पूरी होने पर ये परियोजना बुंदेलखंड के कायाकल्प में मील का पत्थर साबित होगी। इससे उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर के 2.51 लाख हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझेगी। साथ ही 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा।
साकार होगा अटलजी का सपना
उल्लेखनीय है कि देश को बाढ़ और सूखे के संकट से स्थाई निदान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने नदी जोड़ो की जिस बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना की जो कल्पना की थी, केन बेतवा लिंक भी उसी की कड़ी थी। अटल जी के 100 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 44605 करोड़ की इस परियोजना का शिलान्यास करना खुद में खास हो गया। इस परियोजना में 90% अंशदान केंद्र का होगा बाकी 10% संबंधित राज्य सरकार वहन करेगी।
योगी सरकार ने शिलान्यास से पहले ही तेजी से शुरू किया काम
परियोजना का शिलान्यास भले ही 25 दिसंबर को हुआ हो, पर बुंदेलखंड के लोगों को इसका अधिकतम लाभ यथा शीघ्र मिले इसके लिए योगी सरकार इस पर पहले से ही इस पर काम शुरू कर चुकी है।
केन बेतवा लिंक परियोजना के लिए अब तक किए गए कार्य
बांदा में केन बेतवा लिंक का कार्यालय खुल चुका है। जिन चार जिलों को इस परियोजना से लाभान्वित होना है उनका ट्रॉपोग्राफिकल सर्वे (जमीनी सतह का विस्तृत सर्वे) किया जा चुका है। इसी आधार पर अगले साल के शुरुआत में डीपीआर ( डिटेल परियोजना रिपोर्ट) बनाने का लक्ष्य है। यूपी में इस परियोजना के तहत 24 किलोमीटर की जो नहर बननी है उसके टेंडर की प्रकिया भी शीघ्र शुरू होगी। इस बाबत जिन ग्राम पंचायतों से करीब 245 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है उनको भी चिन्हित किया जा चुका है। योगी कैबिनेट ने दिसंबर की शुरुआत में ही इसके पुनरीक्षित लागत के अनुसार करीब 1192 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी।
पहले कार्यकाल से ही योगी का बुंदेलखंड के विकास पर खासा जोर
बुंदेलखंड की दो प्रमुख समस्याएं रही हैं। पानी की कमी और औद्योगिक शून्यता। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी सरकार ने इन दोनों पर खास फोकस किया।
औद्योगिकीकरण के लिए किए गए प्रयास
साढ़े सात से किए गए इन्हीं तमाम प्रयासों का नतीजा है कि आज बुंदेलखंड सोलर एनर्जी का हब बन रहा है। डिफेंस कॉरिडोर यहां के औद्योगिक माहौल को और बूस्टअप कर रहा है। सरकार की योजना कानपुर और झांसी के बीच 36 हजार एकड़ में झांसी के 33 गांवों को मिलाकर नोएडा से भी बड़ा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, बीडा (बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण) बनाने की है। इस पर काम भी शुरू हो गया है।
इसके अलावा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे स्थान विशेष की परंपरा को ध्यान रखते हुए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है। यूपी एग्रीज योजना में भी पूर्वांचल के साथ बुंदेलखंड पर ही सरकार का सारा फोकस है। ललितपुर में प्रदेश का पहला फॉर्म भी विकसित किया जा रह है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद कनेक्टिविटी की समस्या दूर हो गई। अब तो इसे लिंक एक्सप्रेसवे के जरिए सरकार चित्रकूट से भी जोड़ रही है।
पानी का संकट दूर करने के लिए योगी सरकार का प्रयास
इस क्षेत्र के लिए अर्जुन सहायक नहर परियोजना सबसे महत्वपूर्ण थी। योगी सरकार इसे करीब दो साल पहले पूरा कर चुकी है। इसका भी उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था। इसके अलावा योगी के कार्यकाल में स्थानीय महत्व के हिसाब से सिंचाई से संबंधित करीब चार से पांच दर्जन योजनाएं भी पूरी की गईं। हर घर नल योजना में भी बुंदेलखंड को प्राथमिकता पर रखा गया। सिंचाई के संसाधनों के विस्तार और सूखे के समय मवेशियों की प्यास बुझने के लिए सरकार ने खेत तालाब योजना भी तालाब चला रही है। पिछले साल इस योजना के तहत करीब 3370 ताल खुदवाए गए थे। इस वित्तीय वर्ष का लक्ष्य 8499 तालाब खुदवाने का है।