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मप्र में कई गांवों में अब भी सामाजिक भेदभाव : इंद्रापुरकर

1_Logo_of_Rashtriya_Swayamsevak_Sanghaभोपाल | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसए) के मध्य भारत प्रांत के सह कार्यवाहक यशवंत इंद्रापुरकर ने माना है कि मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों मे अब भी सामाजिक भेदभाव होता है। यह बात संघ के सामाजिक समरसता अभियान के दौरान सामने आई। राजधानी भोपाल में मंगलवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए इंद्रापुरकर ने कहा कि संघ ने राज्य के कुछ हिस्सों में सामाजिक समरसता के लिए एक अभिनव प्रयोग किया। इसका मकसद समाज के सभी वर्गो में एक मंदिर, पानी का एक स्रोत और एक श्मशानघाट का भाव जगाना था ताकि भेदभाव का माहौल दूर हो सके। इस काम में 1300 कार्यकर्ता लगे थे, जिन्होंने 9,600 गांवों का दौरा किया। इस दौरान उनके सामने कई गांव में सामाजिक भेदभाव के भी कई मामले सामने आए।

एक सवाल के जवाब में इंद्रापुरकर ने पिछले दिनों राजस्थान के नागौर में हुई संघ की प्रतिनिधि सभा का जिक्र करते हुए कहा कि इस बैठक में स्वास्थ्य एवं सुदृढ़ भारत के निर्माण की दृष्टि से देश के समक्ष खड़ी तीन महत्वपूर्ण चुनौतियों पर मंथन कर प्रस्ताव पारित किए गए। इन प्रस्तावों में समाज, सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं स्वयंसेवकों से मिलकर सकारात्मक पहल का आह्वान किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में संघ का तेजी से विस्तार हो रहा है। संघ को लेकर दुष्प्रचार करने वालों के मुंह बंद हुए हैं, इसका प्रमाण शाखाओं और स्वयंसेवकों की संख्या में हुई वृद्धि है। बीते वर्ष संघ की शाखाओं में साढ़े पांच हजार का इजाफा हुआ और शाखाओं की संख्या 51,684 से बढ़कर 56,859 हो गई है। मध्य प्रदेश में भी शाखाओं की संख्या में 362 की बढ़ोत्तरी हुई है, अब शाखाओं की संख्या 6,680 हो गई है।

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