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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को उचित ठहराया

Arun-Jaitleyनई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को उचित ठहराया। उन्होंने कहा कि विनियोग विधेयक के सदन में नाकाम हो जाने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत को पद छोड़ देना चाहिए था, लेकिन उनके कार्यकलापों से संविधान की धज्जियां उड़ती रहीं। जेटली ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, विनियोग विधेयक के सदन में नाकाम हो जाने के बाद जिसे पद छोड़ देना चाहिए था, उसने सरकार को बनाए रखकर राज्य को गंभीर संवैधानिक संकट में डाल दिया।

इसके बाद सदन की स्थिति में बदलाव लाने के लिए मुख्यमंत्री ने लालच देने, खरीद-फरोख्त और अयोग्य ठहराने जैसे काम शुरू कर दिए। इससे स्थिति और जटिल हो गई। जेटली ने बागी विधायकों को निलंबित करने को लेकर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल की भी आलोचना की है। वित्तमंत्री ने उत्तराखंड विधानसभा की 18 मार्च की कार्यवाही और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों के निलंबन के फैसले का हवाला देते हुए कहा, बहुमत को अल्पमत घोषित कर दिया गया और अल्पमत को बहुमत बताया गया।

अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए संविधान का उल्लंघन करके सदन की संरचना को बदलने का प्रयास किया गया। विधानसभा अध्यक्ष के कदम को अनोखा करार देते हुए जेटली ने कहा है, इससे राज्य ऐसा हो गया जहां एक अप्रैल से वित्तीय खर्च के लिए कोई स्वीकृति नहीं थी। संविधान के ध्वस्त हो जाने का इससे बेहतर प्रमाण क्या हो सकता है? उन्होंने कहा, अब केंद्र सरकार के लिए अनिवार्य है कि वह अनुच्छेद 357 के तहत राज्य को एक अप्रैल से खर्च का अधिकार देने के लिए कदम सुनिश्चित करे।

जेटली ने कहा कि ऐसे बहुत सारे ठोस तथ्य हैं, जिनसे पता चलता है कि विनियोग विधेयक वास्तव में नाकाम हुआ था और इसके प्रमाण स्वरूप सरकार को इस्तीफा देना था। दूसरी बात यह कि यदि विनियोग विधेयक नाकाम रहा था तो सरकार का बने रहना असंवैधानिक है। यह उल्लेखनीय है कि आज तक न तो मुख्यमंत्री ने और विधानसभा अध्यक्ष ने विनियोग विधेयक की प्रामाणित प्रतिलिपि राज्यपाल को भेजी है। स्वाभाविक है कि विनियोग विधेयक पर राज्यपाल की कोई मंजूरी नहीं है। उन्होंने कहा, आज भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा प्रामाणित ऐसा कोई विनियोग विधयक नहीं है, जिस पर राज्यपाल की सहमति प्राप्त हो। यदि विधानसभा अध्यक्ष का मानना है कि बागी विधायकों ने विनियोग विधेयक के पक्ष में मत दिया और यह पारित हो गया है, तो ऐसी स्थिति में बागियों को अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता है।

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