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एशियाई खेलों में पदक का रंग बदलना है लक्ष्य : विजय

नई दिल्ली, 14 अप्रैल (आईएएनएस)| लंदन ओलम्पिक में रजत पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज विजय कुमार इस वर्ष अगस्त में होने वाले एशियाई खेलों में अपने पदक का रंग बदलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और वह इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

33 साल के विजय ने लंदन ओलम्पिक में निशानेबाजी की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में देश के लिए रजत पदक जीता था। विजय 2006 से 2014 तक लगातार तीन बार एशियाई खेलों में पदक जीत चुके हैं। उन्होंने 2006 में दोहा एशियाई खेलों में कांस्य, 2010 के क्वांक्चो में कांस्य और 2014 के इंचियोन खेलों में रजत पदक जीता था।

विजय अब चौथी बार एशियाई खेलों में पदक जीतने उतरेंगे, जहां उनकी कोशिश रजत को स्वर्ण में तब्दील करना होगा। विजय को शनिवार को यहां खेलों में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए मानव रचना यूनिवर्सिटी ने मानव रचना उत्कृष्ता पुरस्कार से सम्मानित किया।

विजय ने सम्मान समारोह से इतर आईएएनएस से कहा, मैं 2-4 अंकों से गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में क्वालीफाई करने से चूक गया था। चयन ट्रायल में मैं तीसरे स्थान पर रहा था और राष्ट्रमंडल टीम के लिए भारत से शीर्ष दो निशानेबाज ही क्वालीफाई करते हैं। इसलिए मैं गोल्ड कोस्ट जाने से चूक गया था।

उन्होंने कहा, अब मैं अपना पूरा ध्यान एशियाई खेलों और टोक्यो ओलम्पिक पर लगा रहा हूं, जहां मेरी पूरी कोशिश पदक का रंग बदलने की होगी। इसके लिए मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूं। एशियाई खेलों के लिए होने वाली चयन ट्रायल में शीर्ष दो में जगह बनाना मेरा प्रमुख लक्ष्य है।

एशियाई खेलों का आयोजन इस वर्ष 18 अगस्त से दो सितंबर तक इंडिनेशिया में होगा।

विजय ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय निशानबाजों के प्रदर्शन पर खुशी जताई और कहा कि सिर्फ राष्ट्रमंडल खेलों में ही नहीं बल्कि एशियाई खेलों और ओलंपिक में भी भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन शानदार रहा है।

विजय ने 15 साल की उम्र में पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले अनीश भानवाल की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा, वह अभी युवा है और पिछले चार-पांच साल से मेहनत कर रहा है। उन्होंने बहुत जल्दी ही बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। आजकल के युवा काफी सतर्क हैं और जल्दी से चीजों को सीखते हैं। मैं अनीश के प्रदर्शन से काफ ी खुश हूं।

विजय ने 2010 के दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भी 50 मीटर सेंटर फायर पिस्टल स्पर्धा में हरप्रीत सिंह के साथ स्वर्ण जीता था। विजय को 2007 में अर्जुन अवार्ड, 2012 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और 2013 में पद्मश्री से अलंकृत किया जा चुका है।

मूलत: हिमाचल प्रदेश के रहने वाले विजय तमाम उपलब्धियों के बावजूद पिछले करीब दो साल से बेरोजगार हैं और इसी के चलते उन्होंने हिमाचल से हरियाणा पलायन किया है और वह पिछले दो साल से हरियाणा में ही रह रहे हैं तथा यहीं पर एशियाई खेलों और ओलंपिक की तैयारियां कर रहे हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने उन्हें नौकरी देने का वादा किया है, उन्होंने कहा,मैंने अपनी फाइल खेल मंत्रालय के पास पहुंचा दी है और मुख्यमंत्री तथा राज्यपाल से भी नौकरी की गुजारिश की है। राज्यपाल ने मुझे आश्वासन दिया है कि वह मुझे ग्रेड के आधार पर बहुत जल्द नौकरी देंगे। मुझे लगता है कि अगले एक-दो महीने में मुझे नौकरी मिल जाएगी।

यह पूछे जाने पर कि क्या नौकरी न मिलने के कारण ही पिछले दो सालों में उनके प्रदर्शन में गिरावट आई है, विजय ने कहा, पहली बात तो ये कि मैं हरियाणा इसलिए आया हूं क्योंकि यहां पर खेलों की संस्कृति है। माता-पिता अपने बच्चों को खेलों में भेजने के बारे में सोचते हैं। एक खिलाड़ी के प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव आता रहता है, क्रिकेटर कभी शून्य पर आउट होता है तो कभी शतक भी बनाता है। इसे नौकरी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। गेम में हार जीत लगी रहती है।

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