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इंदौर पुलिस बुजुर्गो पर मेहरबान

इंदौर, 20 अप्रैल (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की इंदौर पुलिस ने बुजुर्गो की जिंदगी खुशहाल बनाने की पहल की है। यहां बुजुर्गो के ‘सिल्वर कार्ड’ बनाए जा रहे हैं, जो उन्हें सुरक्षा के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में मददगार साबित हो रहे हैं।

बुजुर्गो को सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और सम्मान मिले, इसके लिए इंदौर पुलिस ने अनूठा प्रयोग किया है। पुलिस ने नारा दिया है, ‘बुजुर्ग हैं मगर अकेले नहीं’। पुलिस की इस मुहिम से बुजुर्ग लगातार जुड़ रहे हैं और वे अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

इंदौर के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) हरिनारायण चारी मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, यहां बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनके बेटे विदेशों में बस गए हैं और वे यहां अकेले हैं। इस हाल में उन बुजुर्गो के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधा बड़ी समस्या है। इसी के मद्देनजर पुलिस ने सिल्वर कार्ड तैयार किया है। अब तक 19 हजार बुजुर्गो के सिल्वर कार्ड बन चुके हैं।

उन्होंने कहा, सिल्वर कार्ड वाले बुजुर्गो को पुलिस सुरक्षा के साथ बसों, हवाईजहाज, अस्पताल और पैथोलॉजी में विशेष सुविधा के साथ छूट दी जाती है।

पिछले दिनों इंदौर में ऐसे कई बुजुर्गो के साथ वारदातें हुई हैं, जो अकेले रहा करते थे। इसी के चलते पुलिस ने एक कार्ययोजना बनाई और उस पर अमल किया। उसी के तहत यह सिल्वर कार्ड योजना शुरू की गई है।

मिश्रा के अनुसार, बुजुर्गो को बेहतर सुविधा और सुरक्षा दिलाने के लिए ‘सीनियर सिटीजन पुलिस पंचायत’ बनाई गई है। इसके तहत प्रत्येक बुजुर्ग को एक आवेदन प्रपत्र भरना होता है, जिसमें उसे अपना सारा ब्यौरा देना होता है, उसके बाद ही उसे सिल्वर कार्ड जारी किया जाता है।

उन्होंने बताया कि यह सुविधा सिर्फ इंदौर शहर के बुजुर्गो के लिए ही है। इसके साथ ही आवश्यक है कि बुजुर्ग की आयु 60 वर्ष से ऊपर हो। इस प्रपत्र में संबंधित बुजुर्ग की सेवानिवृत्ति की तिथि से लेकर उसकी बीमारी तक का जिक्र होता है।

सामुदायिक पुलिसिंग के नोडल अधिकारी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रशांत चौबे ने बताया, पुलिस प्रयास कर रही है कि समाज में बुजुर्गो को सम्मान मिले और उनकी समस्या का निदान हो। इसमें सामाजिक सहयोग भी लिया जा रहा है। बुजुर्गो से फोन पर भी संपर्क कर उनको सहायता मुहैया कराई जाती है।

सामुदायिक पुलिसिंग की दिशा में किए गए इस प्रयास के तहत संबंधित बुजुर्ग को एक पुस्तिका दी जाती है, जिसमें उससे संबंधित सारी जानकारियां दर्ज होती हैं।

इंदौर पुलिस का यह प्रयास उन बुजुर्गो के लिए वरदान बन गया है, जो अकेले हैं, जिनमें असुरक्षा का भाव होता है और समाज के विभिन्न वर्ग उनका साथ देने से कतराते हैं।

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