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कठुआ केस में CBI जाँच हो या नहीं, सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

दिल दहला देने वाला कठुआ कांड जिसकी  आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। खबरों के मुताबिक आज अदालत इस केस को सीबीआइ को सौंपे का फैसला ले सकता है। साथ ही कोर्ट मामले की सुनवाई चंडीगढ़ स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिकाओं पर भी विचार कर सकता है। आपको बता दें कि पीड़िता के पिता ने केस की सुनवाई चंडीगढ़ कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी। तो दूसरी ओर आरोपियों ने इस मामले की जांच CBI को सौंप ने की अपील की है।

उन्होंने दलील दी है कि मामले में 221 गवाह हैं और चंडीगढ़ जाकर अदालती कार्यवाही में शामिल होना उनके लिए मुश्किल होगा। आरोपियों का कहना है कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। इन दोनों याचिका पर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ सुनवाई करेगी।

उस दौरान बेंच ने कहा था कि अगर उन्हें कहीं भी ऐसा लगा कि इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो रही है। तो वो केस को ट्रांसफर करने में देर नहीं लगाएगी। जिसके बाद कोर्ट ने 7 मई के लिए मामले की सुनवाई को स्थगित करने का आदेश दिया था।

इस मामले में पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत ने आरोप लगाया था की उनको धमकी मिल रही हैं। और पुलिस को अदालत में चार्जशीट दाखिल नही करने दिया जा रहा हैं। इस बीच ( 26 Apr ) बुधवार को जम्मू कश्मीर हाइकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पूछताछ पैनल ने जम्मू बार एसोसिएशन के वकीलों के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज कर दिया है।

 

क्या हैं कठुआ मामला

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची का 10 जनवरी को अपहरण कर लिया गया था। जिसके बाद बच्ची का शव 17 जनवरी को रसाना गांव के जंगल से मिला था। सरकार ने 23 जनवरी को मामले की जांच राज्य पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दी थी। अपराध शाखा ने विशेष जांच दल गठित किया जिसने दो विशेष पुलिस अधिकारियों और एक हेड कांस्टेबल समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।

इस मामले को लेकर पुरे देशभर में काफी आक्रोश दिखा और इसके विरोध प्रदर्शन हुआ, साथ ही पॉक्सो एक्ट में संशोधन की भी मांग उठी। जिसके बाद सरकार ने पोक्सो एक्ट में संशोधन करने का फैसला लिया और बाद में राष्ट्रपति ने भी इस पर मुहर लगा दी। नया कानून 22 अप्रैल से लागू हो चुका है। इसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के आरोपी को फांसी की सजा होगी। 13 से 16 साल तक की उम्र के मामले में दोषी को 20 साल न्यूनतम सजा या उम्रकैद हो सकती है।

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