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प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक जॉर्ज सुदर्शन ने दुनिया को कहा अलविदा

भारतीय मूल के प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी  ईसी जॉर्ज सुदर्शन 86 साल की उम्र  में  दुनिया को कहा अलविदा। सोमवार को भौतिक विज्ञानी  ईसी जॉर्ज सुदर्शन का अमरीका के टेक्सास में  निधन हो गया।   सुदर्शन के परिवार में उनकी पत्नी भामथी सुदर्शन और  2 बच्चे हैं। सुदर्शन का अंतिम संस्कार गुरुवार को टेक्सास में जाएगा ।

केरल के कोट्टायम जिले के पल्लम गांव में 1931 में उनका जन्म हुआ था।  सुदर्शन ने कोट्टायम के सीएमएस कॉलेज से पढ़ाई की थी और मास्टर्स यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से किया था। उन्होंने होमी जहांगीर भाभा के साथ टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में थोड़े समय के लिए काम भी किया था। 1958 में उन्होंने यूनिवर्सिटी और रोचेस्टर से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी जूलियन स्चेविंगर के निर्देशन में पोस्ट-डाक्टरेट की।

2005 में उन्हें अन्य वैज्ञानिकों के साथ फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट भी किया गया था लेकिन उनके साथ मिलकर ‘सुदर्शन-ग्लाबेर रिप्रजेंटेशन’ बनाने वाले भौतिक विज्ञानी रॉय जे ग्लाबेर को उस साल के फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार अन्य वैज्ञानिकों के साथ दिया गया।  पांच दशक लंबे करियर में उन्होंने क्वांटम ऑपटिक्स, क्वांटम जीनो इफेक्ट व क्वांटम कंप्यूटेशन से जुड़े कई सिद्धांत दिए और खोज की।

दर्शन और धर्म के क्षेत्र में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण है। ह्यूस्टन स्थित श्री मीनाक्षी मंदिर के वह लंबे समय तक ऑनररी एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य रहे थे। उनके योगदानों को देखते हुए भारत सरकार ने 2007 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। सुदर्शन को नौ बार नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया था हालांकि, वह पुरस्कार जीतने में असफल रहे।

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