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भारत में इन वजह से बढ़ रही है रेप केसों की संख्या, कारण हैरान कर देंगे आपको

रेप के तमाम मामले आये दिन हम लोगों को सुनने को मिलता है। कभी किसी निर्भया से तो कभी कठुआ जैसे कांड। पहले लोग कहते थे कि लड़कियों के रेप लिए उनके कपड़े दोषी है, लेकिन आप आज क्या बोलेगें जब 8 माह की बच्ची भी सेफ नही है। वह अबोध बच्ची जिसे समाज की इन विकृतियों का कुछ पता ही नहीं है।

सरकारें इस प्रयास में तो हैं कि रेप जैसी घटनाओं में कमी आये किन्तु फिर भी इसमें कमी नहीं आ रही है। रेप केसेज में लोगों को फांसी पर भी लटकाया गया फिर भी आखिर लोगों के दिल में डर क्यों नहीं पैदा हो रहा है? एक रिपोर्ट के अनुसार जो घटनाएँ दर्ज होतीं हैं उनके हिसाब से हर 22 मिनट में एक रेप होता है। जबकि संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार रेप की संख्या इससे 30 गुनी ज्यादा है।

सरकार के पास सब आंकड़े हैं किन्तु फिर भी इस पर रोक लगाना तो दूर इनमें कमी तक नहीं ला पा रहे हैं। आइये जानते हैं किन वजहों से रेप के केस बढ़ रहे हैं –

महिलाओं के कपड़ों को दोषी मानना – हमारे देश में हुई कई घटनाओं के बाद ज्यादातर लोगों ने महिलाओं के भड़काऊ और उत्तेजित कपड़ों को दोषी ठहराया। 1996 में हुये एक सर्वें में 68 फीसदी लोगों ने माना कि महिलाओं के भड़काऊ कपड़े रेप के लिए जिम्मेदार है। जब इंसान यह नहीं सोचता कि जब कोई पुरुष कुछ भी पहने उस पर कोई एतराज नहीं फिर महिलाओं के कपड़ों को रेप का जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है? इंसानियत की नियत और उसके अन्दर के शैतान को जिम्मेदार क्यों नहीं माना जा रहा? महिलाओं के कपड़ों पर सबसे ज्यादा नेताओं और पुलिस ने अपने बयान दिए थे।

समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति – हमारे समाज में अधिकतर महिलाओं को दबा कर रखा जाता है। इस दबाव की वजह से महिलायें अपने साथ हुई किसी घटना को नहीं कह पातीं हैं। वही दूसरी तरह महिलाओं के इस व्यवहार का लोग फायदा उठा लेते हैं। रेप के बाद भी महिलायें घरों में नहीं बता पातीं और लगातार रेप का शिकार होती रहतीं हैं।

अधिकतर जवान वी आई पी व्यवस्था में लगे – आंकड़ों के अनुसार सिर्फ दिल्ली में 84000 जवानों में से सिर्फ एक तिहाई ही सामाजिक सुरक्षा में लगे हैं,और इसके आलावा सभी वीआईपी लोगों की देख रेख में लगे हुए हैं।

अपने को कलंकित होने का डर – महिलायें इसलिए चुप रह जातीं हैं कि अगर वो शिकायत करेंगी तो जीवन भर के लिए उन पर कलंक लग जाएगा और समाज उन्हें ही दोषी ठहराएगा।

महिलाओं की सुरक्षा में कमी – सुरक्षा की कमी की वजह से महिलायें सामाजिक स्थानों पर भी सुरक्षित नहीं महसूस करतीं क्योकि ऐसी जगहों पर भी महिलाओं के साथ अक्सर छेड़छाड़ के मामले काफी आते रहे हैं।

कमजोर क़ानून व्यवस्था – अगर कोई महिला शिकायत करती है और न्याय के लिये कोर्ट के चक्कर लगा लगा कर थक जाती हैं। लोग उसे देख कर ताने मारते हैं और जिस के खिलाफ रेप का मामला होता है वह बाहर घूमता और कई रेप केसों को अंजाम देता रहता है।

पत्नी का पति का अत्याचार सहना रेप का मुख्य कारण – जब घर में पति पत्नी को पीटता है ,पत्नी इसे छुपा कर शिकायत नहीं करती, लेकिन इस माहौल में रह रहे बच्चों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार 15 से 19 साल के 53 फीसदी लड़के और 57 फीसदी लड़कियां मानती है कि अपनी पत्नी को पीटना सही है।

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