नई दिल्ली। केरल के कोझिकोड जिले में घातक और दुर्लभ ‘निपाह’ वायरस की चपेट में आकर नौ लोगों की मौत हो गई। वायरस की चपेट में आए चार लोगों की हालत नाजुक है। 25 मरीजों को निगरानी में रखा गया है। इस बीच पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट ने खून के तीन नमूनों में निपाह वायरस होने की पुष्टि की है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री के. के. शैलजा ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ आपातकालीन बैठक के बाद बताया कि केरल में दुर्लभ वायरस से नौ लोगों की मौत हो गई। इनमें एक ही परिवार के चार लोग शामिल हैं। मणिपुर लैब में हुए टेस्ट से यह खुलासा हुआ है कि एक दुर्लभ वायरस, जो आमतौर पर राज्य में नहीं पाया जाता, इन मौतों का जिम्मेदार है। पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट ने भी इस वायरस की पुष्टि की है।
लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने विषाणु के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र से मदद मांगी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को लिखे पत्र में रामचंद्रन ने कहा कि उनके लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वताकरा में कुट्टियाडी और पेरम्ब्रा सहित कुछ पंचायत क्षेत्र घातक विषाणु की चपेट में हैं।
सांसद ने बताया कि कुछ डॉक्टरों ने बताया है कि यह निपाह नाम का विषाणु है, जबकि अन्य डॉक्टरों ने इसे जूनोटिक वायरस बताया है, जो घातक है और तेजी से फैलता है। रामचंद्रन ने पत्र में कहा है , ‘विषाणु की चपेट में आए लोगों की मृत्युदर 70 प्रतिशत होती है। बीमारी को बढऩे से रोकने की जरूरत है।’
क्या होता है निपाह वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों पर आक्रमण करता है। 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे। इसीलिए इसे निपाह वायरस नाम दिया गया। पहले इसका असर सुअरों में देखा गया।