देहरादून। भारत में जाति और धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों की कमी नहीं है, लेकिन हमारे देश में आज भी ऐसे लोग मौजूद जो ऐसे लोगों को करारा जवाब देते हैं। ऐसे लोग केवल दो जातियों और समुदायों के बीच अमन चाहते हैं और इनके लिए सबसे ऊपर बस इंसानियत होती है। नेकी का कुछ ऐसा ही मामला इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जहां एक मुस्लिम युवक ने रोज़ा तोड़ते हुए हिंदू युवक को खून देकर उसकी जाना बचाई।
जानकारी के अनुसार मैक्स अस्पताल में भर्ती अजय बिजल्वाण की हालत बेहद गंभीर हो गई। लीवर में बीमारी के चलते अजय का प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगा और शनिवार की सुबह तक पांच हज़ार से भी कम हो गई। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पिता खीमानंद बिजल्वाण से कहा कि अगर ए-पॉजिटिव ब्लड नहीं मिला तो जान को खतरा हो सकता है।
काफी कोशिश के बाद भी डोनर नहीं मिला। इसके बाद खीमानन्द के परिचितों ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मदद मांगी। जब सहस्रधारा रोड नालापानी चौक निवासी नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान को WhatsApp ग्रुप के माध्यम से सूचना मिली तो उन्होंने अजय के पिता को फोन किया कहा कि वो रोज़े से है अगर डॉक्टरों को कोई दिक्कत नहीं है तो वह खून देने के लिए तैयार है। डॉक्टरों ने कहा कि खून देने से पहले कुछ खाना पड़ेगा यानी रोजा तोड़ना पड़ेगा। फिर क्या था आरिफ खान ने रोज़ा तोड़ा और खून देकर अजय की जान बचाई।