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19 लाख रु.की नौकरी छोड़ करने लगा खेती, अब उठा रहा है मोटा मुनाफा

आज के दौर में बेहतर ज़िंदगी की तलाश में लोग गांव छोड़कर शहर की तरफ पलायन कर रहे है। इस आस में की अच्छी नौकरी मिलेगी तो उनकी ज़िंदगी सुधार जाएंगी। लेकिन इन सबसे अलग राजेश गैधानी वो काम किया जिसकी किसी को कोई उम्मीद नहीं थी। उसने 19 लाख रुपये सालाना की नौकरी और अपना 26 साल लंबा कॉरपोरेट करियर छोड़कर अपना रुख गांव की तरफ किया।

2013 में अपना पूरा समय खेती को देने का फैसला किया और 2014 में ये काम शुरू कर दिया। उनके लिए ये काम आसान नहीं थी। जब राजेश ने अपने पैतृक गांव में मिट्टी में काम करने का फैसला किया, जहां उनके दादा, परदादा खेती करते थे, तब उनके गांव के लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। उनका परिवार भी उनके इस फैसले से खुश नहीं था लेकिन फिर भी उन्होंने राजेश का पूरा साथ दिया।

राजेश ने इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है और इसके बाद बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा। हालांकि उनके पास मिट्टी में काम करने का कोई एक्सपीरियंस नहीं था लेकिन एक चीज़ उनके दिमाग में थी कि वह रासायनिक खाद और कीटनाशकों की मदद से पारंपरिक खेती नहीं करेंगे। और यहीं से उनका जैविक खेती का सफर शुरू हुआ।

उनका कहना है कि इस फसल से सिर्फ मिट्टी उर्वरता ही नहीं बढ़ी बल्कि इसके एक्सट्रैक्ट का यूज़ खेत में कीटनाशक के तौर पर भी किया गया। राजेश पिछले दो साल से चावल के खेतों को कीटों से बचाने के लिए वेखंड के एक्सट्रैक्ट का यूज़ कर रहे हैं। जबकि उस गांव में महिलाएं वर्षों से अनाज को बचाने के लिए बोरिक पाउडर का यूज़ कर रही थीं।

उनके एक एकड़ खेत में लगभग 5 ये 6 हज़ार रुपये के कीटनाशकों का छिड़काव हो जाता है। शुरुआत में राजेश 10 एकड़ खेत के लिए 50 से 60 हज़ार रुपये कीटनाशकों पर खर्च कर देते थे लेकिन जब से वह प्राकृतिक उर्वरक और जैविक कीटनाशकों का यूज़ करने लगे तब से इमसें सिर्फ 15 हज़ार रुपये ही खर्च होते हैं।

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