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मप्र में दिग्विजय काल के जख्मों को कुरेद रहे शिवराज!

भोपाल, 30 मई (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में चुनावी चौसर सजने लगी है, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ही अंदाज में हर असंतोष को दबाने के लिए दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल के जख्मों को कुरेदना शुरू कर दिया है। मतदाताओं के बीच बिजली, सड़क से लेकर कर्मी कल्चर की चर्चा छेड़ते हुए सौगातों की बरसात कर दी है।

राज्य में भाजपा की सरकार को डेढ़ दशक होने को है। मुख्यमंत्री के तौर पर चौहान को 13 साल हो चुके है। लगातार चौथी बार जीत किसी भी राज्य में किसी भी दल के लिए आसान नहीं होती। लिहाजा, चौहान ने इस जीत के लिए अभी से पांसे फेंकना शुरू कर दिए हैं। इसके लिए उन्होंने बड़ा हथियार बनाया है, सड़क, बिजली और कर्मचारियों की स्थिति को।

चौहान ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लिया इसके मुताबिक, अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन किए जाने के साथ डाइंग (समाप्त) घोषित किए गए शिक्षक कैडर के फैसले केा खत्म किया गया। अब सभी शिक्षक होंगे। उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस काल अर्थात दिग्विजय सिंह के कार्यकाल की याद ताजा करते हुए कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में गुरुजी-शिक्षाकर्मी कल्चर पैदा किया गया, जिसे भाजपा ने खत्म किया है।

राज्य सरकार के इस फैसले से 2,37000 अध्यापक लाभन्वित होंगे। एक तरह से शिवराज ने इस फैसले के जरिए इन अध्यापकों के परिवारों का दिल जीतने का काम किया है।

राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव का कहना है कि दिग्विजय सिंह सरकार के शिक्षा विभाग के उस काले अध्याय का अंत हो गया है, जिसके जरिए व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षक के पद को मृत घोषित किया गया था। यह निर्णय तत्कालीन सरकार ने 12 जुलाई 1994 को लिया गया था। मंगलवार को वर्तमान सरकार ने अध्यापकों को शिक्षक बनाने का फैसला लेकर दिल जीत लिया है।

शिवराज सरकार इससे पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका आदि के वेतन में वृद्धि का ऐलान कर चुकी है। साथ ही जेल प्रहरियों के बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आयु को 16 वर्ष किया जा चुका है। इसके अलावा कई और भी फैसले लिए गए।

राजनीति के जानकारों की मानें तो शिवराज ने यह मास्टर स्ट्रोक तब मारा है, जब दिग्विजय सिंह राज्य की सियासत में सक्रिय हो रहे हैं। शिवराज की तैयारी दिग्विजय काल की याद दिलाने की है। उस समय कांग्रेस की पराजय के बड़े कारण कर्मचारी, बिजली और सड़क थे। शिवराज अब इन्हीं तीन मुद्दों पर अपने को फोकस कर रहे हैं। इससे सत्ता के खिलाफ जो भी माहौल हो, वह दिग्विजय के काल की याद दिलाकर खत्म किया जा सके।

यहां एक बात बताना लाजिमी होगा कि पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी राज्य में भाजपा को ‘अंगद का पैर’ बताया था और एक पुस्तिका का विमोचन किया था, जिसमें दिग्विजय के कार्यकाल वर्ष 2002-03 और वर्ष 2017-18 की तुलना की गई है। इसमें खस्ता हाल सड़क, बिजली की बुरी हालत, सिंचाई की स्थिति आदि का ब्यौरा है।

मुख्यमंत्री चौहान और भाजपा के हमले का कांग्रेस के पास सीधा जवाब नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने सरकार के फैसले केा अध्यापकों की जीत बताया, साथ ही संविदा कर्मचारियों को नियमित न किए जाने का आरोप लगाया।

अध्यापकों के शिक्षा विभाग में संविलियन का फैसला तब आया है, जब दिग्विजय सिंह गुरुवार से ओरछा से एकता यात्रा शुरू कर रहे हैं। उन्हें कांग्रेस ने राज्य की समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाया है और वे जिला स्तर पर बैठकें कर सभी नेताओं में समन्वय बैठाने का काम करेंगे।

एक तरफ राज्य की राजनीति के मैदान में वार्मअप होते दिग्विजय सिंह हैं, तो दूसरी ओर शिवराज के हाथ में वह गेंद है जो सीधे उन्हीं (दिग्विजय) पर हमला करने वाली है। देखते हैं कि कौन सफल होता है।

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