बॉलीवुड में कुछ विलेन ऐसे रहे हैं जो अपनी एक्टिंग से फिल्म में हीरो को भी पीछे छोड़ दिया हैं। आज भी लोग उनकी एक्टिंग और उसी खलनायकी रूप को ही जानते हैं लेकिन सबसे खलनायक विलेन की जब बात आती हैं तो बड़े से लेकर बच्चों की जुबाँ एक ही नाम आता है अमरीश पूरी का। अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को उस वक्त के पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। उन्होंने 39 साल की उम्र में फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ (1971) से बॉलीवुड में डेब्यू किया था।
नायक से लेकर खलनायक तक की भूमिका निभाने वाले मशहूर अभिनेता अमरीश पुरी वह भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक थे। मोगैंबो के नाम से चर्चित अभिनेता अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आए थे लेकिन किस्मत ने उन्हें विलेन बना दिया।
दरअसल, अमरीश पुरी ने नौकरी के साथ ही पृथ्वी थियेटर ज्वाइन किया था। वह तो थियेटर में आने के साथ ही नौकरी छोड़ देना चाहते थे लेकिन उनके दोस्तों ने इसके लिए मना किया. बाद में जब उन्हें फिल्मों के लगातार ऑफर आने लगे तो उन्होंने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा।
अमरीश पुरी जब 22 साल के थे तो उन्होंने हीरो के लिए एक ऑडिशन दिया था लेकिन प्रोड्यूसर ने उनको ये कहते हुए खारिझ कर दिया था कि उनका चेहरा बड़ा पथरीला है। बाद में उन्होंने 39 साल की उम्र में फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ (1971) में एक ग्रामीण मुस्लिम व्यक्ति का किरदार निभाया था। फिल्म में उनके साथ सुनील दत्त और वहीदा रहमान थे।
आपको जानकर हैरानी होगी कि अमरीश पुरी शुरुआत में बीमा ऐजेंट के रूप में काम करते थे, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। कुर्बानी, नसीब, हीरो, अंधाकानून, दुनिया, मेरी जंग और सल्तनत जैसी कई फिल्मों में उनके किरदार को आज भी याद किया जाता है।
12 जनवरी 2005 को अमरीश पुरी ने इस दुनिया से विदा ले ली थी। भले ही वह आज हमारे बीच ना हों लेकिन उनके किरदार, डायलॉग्स आज भी लोगों की पसंद हैं।