हस्बैंड स्कूल यह एक ऐसा स्कूल हैं जहाँ पर दी जा रही हैं हस्बैंड को घरेलू कामकाज की ट्रेनिंग. यहाँ पर पति डेली स्कूल जाते हैं सिर्फ इस लिए ताकि वो घर का काम अच्छे से सीख कर अपनी वाईफ की घर के कामो में हेल्प कर सके। हम बात कर रहे हैं नाइजर की यहां पर पतियों को दी जा रही हैं गुड हस्बैंड बनने की शिक्षा ।
आपको बता दे कि नाइजर में औसतन हर महिला करीब 7-8 बच्चों को जन्म देती है. अब ऐसे में नाइजर में घरेलू कामकाज और बच्चों का लालन-पोषण महिलाओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है।
इसी वजह से नाइजर में पतियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमे उनको ये सिखाया जा रहा हैं कि कैसे गृहस्थी का कामकाज में हेल्प कर सकते हैं।
आपको बता दे कि यहां पर घरेलू कामों की मौलिक शिक्षा पुरुषों और महिलाओं को बराबर नहीं मिलती जिस वजह से महिलाओं पर ही घर के सारे कामकाज का बोझ पड़ जाता है. इस समस्या के निदान के लिए संयुक्त राष्ट्र ने नाइजर देश में पतियों के विद्यालय चालू किए। यूएन की इस पहल का काफी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
नाइजर के पति दुनिया के सबसे काबिल पतियों में बदलते जा रहे हैं. वो रोज खाना बनाना, झाड़ू-पोछा संभाल रहे हैं और इन कार्यों में व्यस्त रहने की वजह से जनसंख्या भी अब ढलान पर है।
प्रशिक्षण ले रहे समूह में से एक आदमी पूछता है कि आप अपनी पत्नियों के लिए क्या कर सकते हैं? इस पर एक आदमी जवाब देता है कि हम पानी ला सकते हैं, घर साफ कर सकते हैं, महिलाएं लकड़ियां काटने जंगल जाती हैं, हम उन्हें रोक कर खुद ये काम कर सकते हैं।जब महिलाओं के पास इतने सारे काम होते हैं तो हम उनकी मदद कर सकते हैं। महिलाएं जब खाना बना रही हों तो हम बर्तन और कपड़े धुल सकते हैं।
नाइजर की महिलाओं की जिंदगी बहुत ज्यादा मुश्किल होती है. 8-8 बच्चों वाले बड़े परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी संभालनी होती है. जरूरत की हर एक चीज के लिए संघर्ष करना पड़ता है।