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सैनिटरी पैड उत्पादन इकाई से जागरूकता फैलाएगा वी आर वॉटर फाउंडेशन

नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)| गैर-लाभकारी संगठन वी आर वॉटर फाउंडेशन इंडिया ने दिल्ली में सैनिटरी पैड उत्पादन इकाई की स्थापना कर महिलाओं के बीच व्यक्तिगत स्वच्छता को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम बढ़ाया है। इससे स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा और उन्हें स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल से सैनिटरी नैपकिन बनाने का प्रशिक्षण देने से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इस परियोजना के लिए फाउंडेशन ने हैबिटेट फॉर ‘मैनिटी इंडिया’ के साथ हाथ मिलाया है। यह परियोजना दिल्ली एनसीआर की झुग्गियों की 50,000 से अधिक महिलाओं तक पहुंचेगी।

संस्था ने एक बयान में कहा, मासिक धर्म की सीमित समझ, स्वच्छ उत्पादों का अभाव, भ्रांतिया और गलतफहमी उन बड़ी समस्याओं में से कुछ हैं, जो समाज के निम्न वर्ग में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। अध्ययनों में यह पाया गया है कि भारत की 35.5 करोड़ महिलाओं में से मासिक धर्म के दौरान केवल 12 प्रतिशत महिलाएं ही सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं, जबकि शेष 88 प्रतिशत महिलाएं अस्वास्थ्यकर तरीके अपनाती हैं।

बयान में कहा गया, ग्रामीण भारत और झुग्गियों की महिलाएं आम तौर पर सैनिटरी नैपकिन के रूप में कपड़ों (चिथड़े, पहने हुए कपड़े) का उपयोग करती हैं और कभी-कभी यह आंकड़ा 88 प्रतिशत से भी अधिक होता है। इसका कारण मासिक धर्म के प्रबंधन के प्रति जागरूकता का अभाव और बाजार में उपलब्ध विकल्प का महंगा होना है।

संस्था ने कहा कि इस पहल का लक्ष्य महिलाओं और किशोरियों के लिए स्वच्छता की बेहतर सुविधाओं के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह परियोजना नई दिल्ली के बादली मोड़ में स्थित शहरी झुग्गी में स्थापित की जा रही है। इसमें मशीनरी और उत्पादन इकाई होगी, कच्चे माल की प्राप्ति होगी, बाजार को समझा जाएगा और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस परियोजना में दिल्ली एनसीआर की झुग्गियों की लगभग 50,000 महिलाओं को स्व सहायता समूह प्रारूप के माध्यम से स्वच्छता के प्रति शिक्षित और जागरूक किया जाएगा।

वी आर वाटर फाउंडेशन इंडिया के मैनेजिंग ट्रस्टी के. ई. रंगनाथन ने कहा, आज देश में मासिक धर्म को लेकर भ्रांतियां और सामाजिक-सांस्कृतिक बाध्यताएं हैं। यह परियोजना खोजपरक है, क्योंकि इसमें झुग्गी में रहने वाली महिलाओं के विकास को तकनीकी नवोन्मेष का सहारा मिल रहा है। इससे उन्हें आय होगी और स्वास्थ्य तथा स्वच्छता संबंधी सुधार भी होगा। यह परियोजना दिल्ली एनसीआर की झुग्गियों की 50,000 से अधिक महिलाओं तक पहुंचेगी।

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