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महालक्ष्मी के गायन, राजकुमार के संतूर वादन ने समां बांधा

नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)| भारतीय शास्त्रीय कलाओं के प्रचार-प्रसार में लगे प्राचीन कला केंद्र के मंच पर बेंगलुरू की युवा शास्त्रीय गायिका महालक्ष्मी शिनॉय और दिल्ली के सधे हुए संतूर वादक राजकुमार मजूमदार ने मोहक प्रस्तुतियां देकर संगीत संध्या को यादगार शाम बनाया।

इंडिया हैबिटेट सेंटर के सहयोग से अमलतास सभागार में शनिवार की शाम आयोजित कार्यक्रम में महालक्ष्मी ने अपने गायन की शुरुआत राग मारूबिहाग से किया। आलाप के बाद उन्होंने विलंबित एक ताल की रचना ‘बादल आए री’ प्रस्तुत की। इसके बाद द्रुत तीन ताल में बंदिश पेश की, जिसके बोल थे ‘तरसत रैना दिना’। महालक्ष्मी ने अपनी प्रस्तुति का समापन मीरा के भजन ‘दरसन बिन दुखन लागे नैन’ से किया। उनके गायन को श्रोताओं की खूब तालियां मिलीं।

उनके साथ मंच पर अभिषेक मिश्रा ने तबले पर और परोमिता मुखर्जी ने हारमोनियम पर संगत की।

महालक्ष्मी के मधुर गायन के बाद राजकुमार मजूमदार ने संतूर पर सबसे पहले राग हेमंत छेड़ा। आलाप के बाद जोड़ झाला की मधुर स्वर लहरियों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। राजकुमार ने इसके बाद तीन ताल में तीन सुंदर गतें पेश कीं। तीन ताल में नौ मात्रा एवं मध्य लय तीन ताल पर सुंदर गत पेश कर उन्होंने भी खूब प्रशंसा अर्जित की। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन द्रुत तीन ताल से किया। इनके साथ विश्वजीत पाल ने तबले पर संगत की।

प्राचीन कला केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर, सचिव सजल कौसर एवं मुख्य अतिथि दूरदर्शन के किसान चैनल के सलाहकार नरेश सिरोही ने कलाकारों को सम्मानित किया। इनके साथ कला में अपने विशिष्ट योगदान के लिए आस्ट्रेलिया से आईं शास्त्रीय गायिका काकोली बैनर्जी को विशेष रूप से ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया।

देश की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था के रूप में पहचान बाना चुका यह प्राचीन कला केंद्र देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता आ रहा है। इसी श्रृंखला में दिल्ली में संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केंद्र की 10वीं तिमाही बैठक भी हुई।

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