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वस्त्र परिधान पर आयात शुल्क बढ़ने से घरेलू उद्योग को मिली राहत

नई दिल्ली, 18 जुलाई (आईएएनएस)| सरकार द्वारा 76 वस्त्र एवं परिधान के मदों पर आयात शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी किए जाने से घरेलू उद्योग को बड़ी राहत मिली है। आयात शुल्क बढ़ने से विदेशों से वस्त्र और परिधानों के सस्ते आयात पर अंकुश लगेग जिससे घरेलू कपड़ा उद्योग को फायदा होगा। उद्योग संगठन के अनुसार, वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी लागू होने के बाद से आयात शुल्क में कमी होने पर विदेशों से कपड़ों का आयात सस्ता हो गया था जिससे देश के कपड़ा उद्योग काफी प्रभावित हुआ था, मगर अब आयात शुल्क में वृद्धि होने से उद्योग में तेजी का माहौल बनेगा।

भारतीय कपड़ा उद्योग महासंघ के अध्यक्ष संजय जैने ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कहा कि सरकार के इस कदम से उद्योग को बड़ी राहत मिली है क्योंकि उद्योग जीएसटी लागू होने के बाद से दबाव में था, क्योंकि आयात शुल्क में कमी आ गई थी जिससे विदेशों रेडीमेड गार्मेंट्स का आयात बढ़ गया था।

सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार ने बुने हुए यानी निटेड मदों के 24 परिधान केटेगरी, गूंथे हुए यानी वोवेन मदों 24 परिधानों की केटेगरी, के अलावा कारपेट की 10 केटेगरी बगैर गूथे केटेगरी के छह और लेमिनेटेड फैब्रिक के तीन, निटेड फैब्रिक के दो, वोवेन फैब्रिक के दो और मेडअप आइटम की केटेगरी के साथ-साथ तीन अन्य केटेगरी के आयातित माल पर शुल्क बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है।

जैन ने कहा कि घरेलू वस्त्र विनिमार्ताओं को इससे बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि भारत ने 2017-18 में करीब सात अरब डॉलर का कपड़ा व परिधान आयात किया जबकि पिछले साल यानी 2016-17 में छह अरब डॉलर का आयात हुआ था। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से चीन से परिधानों का आयात अब रूक जाएगा। चीन भारत को अपेरल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश है।

हालांकि जैन ने कहा कि बांग्लादेश से आयात होता ही रहेगा जो एक बड़ी चिंता है। दरअसल बांग्लादेश को बेसिक कस्टम ड्यूटी में पूरी तरह छूट है। 2017-18 में बांग्लादेश से अपेरल का आयात 14 करोड़ डॉलर से बढ़कर 20.1 करोड़ डॉलर हो गया था।

उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के रास्ते चीन का सामान भी आता है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है।

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