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दिल्ली : जीएसटी के खिलाफ निजी सुरक्षा एजेंसियों का प्रदर्शन

नई दिल्ली, 18 जुलाई (आईएएनएस)| जीएसटी के नियमों में बदलाव की मांग को लेकर निजी सुरक्षा एजेंसियों और उनमें काम करने वाले हजारों सुरक्षा गार्डो ने बुधवार को यहां इंडिया गेट पर मौन जलूस निकाला। एजेंसियों ने जारी एक बयान में कहा, जीएसटी की वजह से निजी सुरक्षा एजेंसियों पर दोहरी मार पड़ रही है। सरकार को निजी सुरक्षा एजेंसियों की समस्या को समझते हुए ‘रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म’ लागू करना चाहिए। इसके अंतर्गत सेवा लेने वाले व्यक्ति या कंपनी से जीएसटी की वसूली की जाए और निजी सुरक्षा एजेंसी से इसकी वसूली बंद की जाए।

सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्युरिटी इंडस्ट्री (सीएपीएसआई) के बैनर तले आयोजित विरोध प्रदर्शन में निजी सुरक्षा एजेंसियों के मालिकों के साथ ही सिक्युरिटी गार्ड और बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक और सैन्य अधिकारी शामिल हुए।

बयान के अनुसार, सीएपीएसआई के सदस्यों ने अपनी मांगों के समर्थन में देश के सभी राज्यों में मौन जलूस निकाला।

सीएपीएसआई के अध्यक्ष, कुंवर विक्रम सिंह ने कहा, हमने वित्त मंत्रालय से लेकर जीएसटी आयोग तक को अपनी समस्याओं पर बार-बार पत्र लिखा। लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है। हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि सेवा लेने वाले की जगह निजी सुरक्षा एजेंसियों से जीएसटी की वसूली की जा रही है।

उन्होंने कहा, जीएसटी बिल जिस महीने जारी होता है, उस महीने की 20 तारीख को ही इसे जमा कराना होता है। जबकि निजी सुरक्षा एजेंसियों को सेवा लेने वाली कंपनियों या लोगों से बिल दो-तीन महीने बाद मिलता है। ऐसे में बिना हाथ में एक पैसा आए हर महीने जीएसटी भरने की तलवार एजेंसियों पर लटकी रहती है। कई निजी सुरक्षा एजेंसियों के कार्यालय पर ताला लगने की नौबत आ गई है।

सिंह ने कहा, इसके लिए रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म लाया जाए। कई अन्य इंडस्ट्री के लिए जीएसटी में यह नियम बनाए गए हैं। इसमें मूल नियोक्ता या सेवा देने वाली निजी सुरक्षा एजेंसी के मामले में वह कंपनी या व्यक्ति जिसने निजी सुरक्षा गार्ड की सेवा हासिल की है, वह निर्धारित समय पर जीएसटी का बिल भरे और उसके बाद निश्चित समय पर उसके रिफंड को सरकार से हासिल करे।

सिंह ने कहा कि यह क्षेत्र करीब 80 लाख लोगों को नौकरी दे रहा है और इसमें मूल रूप से सेवानिवृत्त जवान, सैन्य अधिकारी हैं। ये वे लोग हैं, जो गांव-देहात की पृष्ठभूमि से हैं और कमजोर आर्थिक वर्ग से हैं। ऐसे में सरकार के किसी फैसले से अगर कोई सुरक्षा एजेंसी बंद होती है तो उसकी वजह से सैकड़ों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।

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