नई दिल्ली। 27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है। शुक्रवार के दिन गुरु पूर्णिमा के साथ ही चंद्रग्रहण भी है। हिन्दू शास्त्रों में गुरू की महिमा अपरंपार बताई गयी है। गुरू बिन, ज्ञान नहीं प्राप्त हो सकता है, गुरू बिन संसार सागर से, आत्मा भी मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकती है। गुरू को भगवान से भी ऊपर दर्जा दिया गया है। चंद शब्दों में गुरू के प्रताप को बताया जाए तो शास्त्रों में लिखा है कि अगर भगवान से श्रापित कोई है तो उसे गुरू बचा सकता है किन्तु गुरू से श्रापित व्यक्ति को भगवान भी नहीं बचा पाते हैं।
कहते हैं कि आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के के दिन भगवान वेद व्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने वेदों को उसके महत्व के हिसाब से विभाग किए। साथ ही उन्होंने महाभारत की रचना की तथा 18 पुराणों के रचयिता भी उन्हें माना जाता है। इतना ही नहीं उन्होंने वेदांत के सूत्रों का प्रणयन किया। ऐसा कहा जाता है कि संसार में जो भी ज्ञान है वो वेद व्यास के ज्ञान का अंश है। इसीलिए भारतीय परंपरा में उन्हें सर्वोपरि गुरु का दर्जा हासिल है।
यही कारण है कि व्यास पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन यदि कोई नीचे दिए गए मंत्र का जाप कर ले तो वो कभी किसी भी क्षेत्र में हार का सामना नहीं करता, उसकी स्मरण क्षमता और ज्ञान अत्यधिक बढ़ जाता है।
मंत्र:
“व्यासाय विष्णु रूपाय, विष्णु रूपाय व्यासवे”
इस मंत्र का निरंतर स्मरण करने से ही मनुष्य को ज्ञानार्जन और ज्ञानवृद्धि उत्पन्न होती है।