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अमृतसर ट्रेन हादसा: मरने से पहले कई लोगों को जिंदगी दे गया ‘रावण’

अमृतसर। 19 अक्टूबर को जब पूरा देश दशहरे के उल्लास में डूबा था उसी समय पंजाब का अमृतसर शहर लोगों की चीख-पुकार से दहल उठा। यहां ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे सैकड़ों लोगों को ट्रेन रौंदते हुए निकल गई। इस हादसे में अभी तक 61 लोगों की मौत की खबर है जबकि 40 से अधिक लोग घायल हैं। इस हादसे में रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले दलबीर सिंह की भी मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि खुद मौत के मुंह में जाने से पहले वह कई लोगों की जान बचा चुके थे।

मृतक दलबीर के बड़े भाई बलबीर ने बताया कि उसके छोटे भाई दलबीर को बचपन से ही रामलीला मंचन का शौक था। वह 8 साल की उम्र में रामलीला में अलग-अलग किरदार निभाने लगा था। पिछले लगभग 3 साल से वह जोड़ा फाटक पर होने वाली रामलीला में रावण का किरदार कर रहा था। शुक्रवार को हादसे से पहले मंच पर मौजूद मुख्यातिथि ने उन्हें सम्मानित किया और स्मृति चिन्ह भेंट किया था। वह इसे लेने के बाद अपनी ड्रेस और स्मृति चिन्ह को घर रखने के लिए आया था।

रामलीला से महज 150 मीटर की दूरी पर घर था। रावण दहन से पहले वह ड्रेस और स्मृति चिन्ह रखकर फाटक के रास्ते रामलीला स्थल पर लौट रहा था। तभी रावण दहन शुरू हो गया। इसी दौरान वह ट्रैक पार करने लगा तो डीएमयू ट्रेन आ गई। उसने ट्रेन देख ली थी। इस दौरान उसने कई लोगों को धक्का देकर ट्रैक से किनारे किया। उसने अपनी हिम्मत से कई लोगों की जान तो बचा ली लेकिन इस हादसे में उसकी मौत हो गई।

बताया जा रहा है कि अमृतसर के जोड़ा फाटक इलाके में रेलवे ट्रैक के नजदीक रावण का पुतला जलाया जा रहा था। जैसे ही पुतले में पटाखे का विस्फोट होना शुरू हुआ और आग की लपटें तेज हुईं, लोग रेल पटरी पर चले गए। कुछ लोग रावण दहन देखने के लिए पहले से ही रेल पटरी पर खड़े थे। इसी दौरान पठानकोट से अमृतसर जा रही ट्रेन तेज गति से आई और बड़ी तादाद में लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। बताया जाता है कि रावण दहन के दौरान पटाखे जलने की वजह से लोग ट्रेन की सीटी की आवाज नहीं सुन सके। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि मृतकों में बच्चे भी शामिल हैं। घटनास्थल पर करीब 700 लोग जमा थे।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH