नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराया। इस मौके पर पीएम ने कहा कि आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया। मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया।
मोदी ने कहा कि एक परिवार की मौजूदगी को बड़ा बताने के लिए सुभाष चंद्र बोस, बी.आर.अंबेडकर व सरदार पटेल जैसे नेताओं के देश के लिए योगदान को भुला दिया गया। मोदी ने कहा कि आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले सुभाष चंद्र बोस ने कैम्ब्रिज में अपने दिनों को याद करते हुए लिखा था, “हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है।”
मोदी ने कहा, “यह हमारा दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद भी जिन्होंने देश व हमारी प्रणाली की नींव रखी वो भारत को विदेशी चश्मे से देखते रहे। इससे हमारी विरासत, संस्कृति, शिक्षा प्रणाली, हमारा अध्ययन सभी बुरी तरह से प्रभावित हुआ।” मोदी ने कहा, “आज मैं निश्चित तौर पर यह कह सकता हूं कि अगर हमारे देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे शख्सियतों का मार्गदर्शन मिला होता और अगर भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होतीं। यह दुखद है कि सिर्फ एक परिवार की मौजूदगी को बढ़ाने के लिए पटेल, अंबेडकर व बोस जैसे भारत के सपूतों को भुला दिया गया।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इसे बदल रही है। उन्होंने कहा कि देश का संपूर्ण विकास बोस के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण पहलू था और राजग सरकार बोस की कल्पना के दिशा में जा रही है।