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कार्तिक मास में रोज सुबह नदी में नहाने की है परंपरा, इसके पीछे छिपे हैं स्वास्थ्य से जुड़े फायदे

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को बहुत खास महीना बताया गया है। इस साल का कार्तिक मास 25 अक्टूबर से शुरू होकर 23 नवंबर तक रहेगा। इस महीने से मंगल कार्य की शुरूआत हो जाती है। यह महीना भगवान विष्णु का प्रिय होता है। मान्यता है कि इसी महीने भगवान विष्णु लंबी नींद के बाद उठते हैं। इस पूरे माह में तुलसी पूजन के साथ ही उनकी भी पूजा होती है। यह समय पुण्य प्राप्ति का महान अवसर प्रदान करता है। कार्तिक मास श्री हरि और मां लक्ष्मी को सबसे प्रिय है। सृष्टि में आनंद और कृपा की वर्षा होती है। कहा जाता है कार्तिक महीने में मां लक्ष्मी धरती पर घूमती है। इस महीने त्रयोदशी, दीपावली और गोपाष्टमी मनाते हैं। विशेष पूजा और प्रयोग से अपार धन पा सकते हैं। कर्ज और घाटे से मुक्त हो सकते हैं।

धर्म ग्रंथों में इस महीने से जुड़ी अनेक परंपराएं भी बताई गई हैं, उन्हीं में से एक है कार्तिक मास में रोज सुबह नदी या तालाब में स्नान करना। कार्तिक मास में नदी स्नान का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है, जो इस प्रकार है…

इसलिए कार्तिक मास में है नदी स्नान की परंपरा…

कार्तिक मास को रोग दूर करने वाला कहा गया है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण इस मास का अनुकूल वातावरण है।

वर्षा ऋतु में आसमान बादलों से ढंका रहता है। ऐसे में कई सूक्ष्मजीव पनपते हैं और रोग फैलाते हैं।

इसके बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान साफ हो जाता है और सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर आती हैं, जिससे रोगाणु समाप्त हो जाते हैं और मौसम स्वास्थ्य के लिए अनुकूल हो जाता है।

ताजी हवा, सूर्य की पर्याप्त रोशनी आदि शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती है।

यही कारण है कि कार्तिक मास में सुबह नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में लिखा है।

सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां अपने आप ही समाप्त हो जाती हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH