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आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय ने भारत को बताया प्रत्यक्ष साझेदार

सिडनी, 4 नवंबर (आईएएनएस)| भारत को अपनी युवाशक्ति को नवोन्मेषी व हुनरमंद बनाकर देश की तरक्की में उन्हें भागीदार बनाने की जरूरत है। ऐसे में आस्ट्रेलिया का यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स (यूएनएसडब्ल्यू) भारतीय विद्यार्थियों को तराशने में मददगार साबित हो सकता है।

यूएनएसडब्ल्यू ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाकर इस दिशा में कार्य करने की अभिरुचि जाहिर की है, जिससे विश्वविद्यालय भारतीय विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए खास ठिकाना बन सकता है।

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में 45वें पायदान पर स्थित सिडनी स्थित यूएनएसडब्ल्यू भारत सरकार के प्रयास से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता व पहुंच के मामले में देश में ऐतिहासिक अनुसंधान व शैक्षणिक साझेदारी करने का अवसर तलाश रहा है।

यूएनएसडब्ल्यू ने दुनियाभर से 1,000 शिक्षाविदों को आकर्षित करने के लिए एक अरब आस्ट्रेलियाई डॉलर निवेश करने की योजना बनाई है, ताकि संस्थान उच्च शिक्षा के क्षेत्र मे अगले दशक तक दुनिया के अग्रणी संस्थानों में शामिल हो सके।

विश्वविद्यालय ने शिक्षण और अनुसंधान का आधार मजबूत बनाने के लिए अपनी 2025 रणनीति के तहत भारत समेत दुनियाभर से पांच-10 फीसदी उत्कृष्ट अनुसंधानकर्ताओं को जोड़ने की योजना बनाई है।

यूएनएसडब्ल्यू के उप कुलपति (अंतर्राष्ट्रीय) लॉरी पियरसी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि 2025 रणनीति अकादमिक विशिष्टता, सामाजिक भागीदारी और वैश्विक प्रभाव के स्तंभों पर आधारित है।

उन्होंने कहा, “इन तीनों स्तंभों की रणनीति के हिस्से के रूप में भारत हमारे विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण व प्रत्यक्ष साझेदार है।”

यूएनएसडब्ल्यू ने भारत में अपनी मौजूदगी बनाने और भारत-आस्ट्रेलिया के बीच रिश्तों को मजबूती प्रदान करने के लिए इसी साल जुलाई में नई दिल्ली में अपना इंडिया सेंटर खोला है।

पियरसी ने आईएएनएस संवाददाता को बताया, “भारत के साथ दीर्घकालिक साझेदारी बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हम अकादमिक और अनुसंधान परितंत्र का हिस्सा बनें और भारत की बौद्धिक व सामाजिक पूंजी का सक्रिय भागीदार बनें।”

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने तीन साल पहले जब भारत केंद्रित रणनीति बनाई थी, तब यहां करीब 300 भारतीय विद्यार्थी थे। उन्होंने कहा, “आज हमारे पास करीब 1,200 छात्र (भारतीय) हैं और हम देख रहे हैं कि इसमें तेजी से वृद्धि हो रही है। हम भारतीय विद्यार्थियों की तादाद 2025 तक 4,500 करना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा कि आगे गठबंधन व साझेदारी में विस्तार होगा।

भारत केंद्रित अपनी रणनीति के तहत विश्वविद्यालय ने फ्यूचर ऑफ चेंज इंडिया स्कॉलरशिप शुरू की है।

पियरसी ने कहा कि आस्ट्रेलिया की सरकार ने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध को आगे मजबूती प्रदान करने के लिए शिक्षा के क्षेत्र को प्रमुखता दी है।

उन्होंने कहा, “इस प्रकार यूएनएसडब्ल्यू में हम जो कुछ कर रहे हैं, वह सचमुच सरकार की आर्थिक रणनीति के अनुरूप है।”

उन्होंने कहा कि भारत में सही मायने में अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के मामले में यह दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था है। साथ ही, भारत में सामाजिक बदलाव का परिदृश्य भी अद्भुत है।

पियरसी ने कहा, “भारत ऐसी जगह है, जहां सचमुच सबकुछ है। हम देख रहे हैं कि यह देश वास्तव में कुछ असाधारण चीजें देने में समर्थ है।”

यूएनएसडब्ल्यू के भारत में कंट्री डायरेक्टर अमित दासगुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षण-पद्धति और अनुसंधान दोनों स्तंभों पर काफी ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कई अन्य संस्थानों की तरह यहां इन दोनों मामलों में कोई समझौता नहीं किया जाता है।

दासगुप्ता ने आईएएनएस को बताया, “यूएनएसडब्ल्यू में इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है कि हम जीवन में बदलाव कैसे लाते हैं और हम समाज का निर्माण कैसे करते हैं। समाज का प्रभाव स्वास्थ्य, समावेशन और आर्थिक क्षेत्र की अनेक चीजों पर पड़ता है।”

दासगुप्ता ने बताया कि यूनएसडब्ल्यू में 3,000 से अधिक संकाय सदस्य आस्ट्रेलिया के बाहर के हैं। इस प्रकार इसे वैश्विक विश्वविद्यालय का दर्जा मिलता है।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में 130 देशों के बहुसांस्कृतिक माहौल का अनुभव होता है, जो कहीं और जगह मिलना कठिन है।

 

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