NationalSpiritualTop Newsमुख्य समाचार

विशेष : छठ महापर्व देता पर्यावरण स्वच्छता का संदेश

बिहार और उत्तर प्रदेश का लोकपर्व छठ प्रकृति की अराधना का महापर्व है, जो पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का संदेश देता है।

अनादि काल से मनाए जाने वाले इस पर्व में धरती पर ऊर्जा का संचार करने वाले भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की जाती है। त्योहार से पहले नदी, तालाब, पोखर आदि जलाशयों की सफाई का काम शुरू हो जाता है।

छठ पर्व मनाने का साक्ष्य ऋग्वेद में मिलता है। छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक अथवा लोकजीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण और जीवनशैली के बीच के संबंधों को भी रेखांकित करता है।

अब छठ पूजा न सिर्फ बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में होती है, बल्कि देश के उन सभी प्रांतों में छठ मनाया जाने लगा है, जहां प्रवासी पूर्वाचली स्थायी तौर पर निवास करते हैं। विदेशों में प्रवासी पूर्वाचली समुदाय छठ त्योहार मनाते हैं। मुंबई से लेकर मॉरीशस और अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया हर जगह छठ के घाट सजते हैं और व्रती सूर्यदेव को अघ्र्य देते हैं।

लोक आस्था के महापर्व छठ के आप सब के बहुत शुभकामना – सीएम योगी

देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में लोग जिस तरह छठ पर्व मनानाया जाने लगा है, उससे लगता है कि अब यह भारतीय लोक संस्कृति की पहचान बन गया है।

आज आप दुनिया के किसी भी कोने में छठ का नाम लीजिए, आपको बिना कुछ कहे भारतीय के रूप में पहचान लिया जाएगा। इस कारण छठ पूजा का उपयोग दुनियाभर में फैले भारतवंशियों को जोड़ने या फिर वर्तमान सांस्कृतिक कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए भी क्या जा सकता है।

भारतीय संस्कृति और समाज में धर्म-कर्म, पूजा, उपासना-पद्धति की व्यवस्था इस प्रकार से की गई है कि देवी-देवता के साथ-साथ यहां मानव एवं मानवेतर सत्ताओं को भी समान महत्व मिला है। यही कारण है कि यहां मनुष्य जीवन से जुड़े सभी पक्षों और जरूरतों को यथोचित सम्मान और आदर दिया जाता है।

=>
=>
loading...