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प्रमुख ब्याज दर 6.5 फीसदी पर बरकरार (

मुंबई, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में बुधवार को वाणिज्यिक बैंकों के लिए प्रमुख ब्याज दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है। आरबीआई ने लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा है। इसके अलावा आरबीआई ने अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक में निर्धारित अपने ‘सख्त’ मौद्रिक रुख में इस बार कोई बदलाव नहीं किया है और प्रमुख ब्याज दर को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा है।

इसी प्रकार केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को भी 6.25 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर (एमएसएफ) और बैंक दर को 6.75 फीसदी पर बरकरार रखा है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने भी पिछली बैठक (अक्टूबर में) में तय किए गए अपने रुख को इस बैठक में भी बरकार रखा है।

आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली एमपीसी के छह सदस्यों ने एकमत से नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। हालांकि एक सदस्य रविंद्र एच. ढोलकिया ने आरबीआई का रुख ‘निरपेक्ष’ करने के लिए वोट डाला।

आरबीआई के मुताबिक, मुद्रास्फीति अनुमान को उल्लेखनीय रूप से संशोधित किया गया है और पिछले प्रस्ताव में बताए गए जोखिमों को कम किया गया है। खासकर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट के कारण महंगाई के जोखिम को कम किया गया है। हालांकि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अभी भी कुछ अनिश्चिताएं बरकरार हैं।

पटेल ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, “एमपीसी ने गौर किया है कि व्यापार तनाव बढ़ने, वैश्विक वित्तीय स्थिति दवाब में होने और वैश्विक मांग में कमी से घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम है, लेकिन हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट अगर आगे भी बरकरार रहती है तो घरेलू अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।”

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक प्रश्न के जवाब में कहा, “आरबीआई की नजर मध्यम अवधि के लक्ष्यों पर है। हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति दर 4.2 फीसदी होगी, जो कि एक साल की समय सीमा में मध्यम अवधि के लक्ष्य से अधिक है।”

आरबीआई की एमपीसी का लक्ष्य मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर-नीचे) तक रखना है, जबकि विकास को बढ़ावा देना है।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और ‘कुछ हद तक जोखिम के साथ’ वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में इसके 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।

 

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