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अखिलेश ने भरी प्रेस कांफ्रेंस में किया ऐसा काम, जो शायद ही उन्होंने पहले किया हो

लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को औपचारिक रूप से ऐलान करते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। राज्य में सपा और बसपा 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के लिए रायबरेली और अमेठी की सीट छोड़ दी गई है। इसके अलावा बाकी दो सीटें सहयोगियों को दी जाएगी। मायावती ने गठबंधन को एक नई राजनीतिक क्रांति करार दिया और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ा देगा। मायावती ने कहा कि गठबंधन के पास भाजपा को फिर से सत्ता में आने से रोकने की क्षमता है।

उन्होंने कहा कि हमने 1995 के गेस्ट हाउस कांड कांड को जनहित में देश ऊपर रखते हुए गठबंधन का फैसला लिया। भाजपा ने लोकसभा व विधानसभा में बेईमानी से सरकार बनाई थी। इसके बाद तो हमने उपचुनावों में भाजपा को हराकर इनको रोकने की शुरुआत कर दी थी। इस चुनाव में तो कांग्रेस के उम्मीदवार की तो जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि सपा व बसपा साथ आ जाएं तो भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सकता है। दलितों, पिछड़ों, गरीबों, धार्मिक अल्पसंख्यक के हितों की उपेक्षा को देखते हुए गेस्ट हाउस कांड को किनारे करते हुए हमने गठबंधन का फैसला किया।

वहीँ अखिलेश ने गठबंधन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मायावती पर बीजेपी नेताओं ने अशोभनीय टिप्पणियां की। इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। मैं बता देना चाहता हूं कि मायावतीजी का सम्मान मेरा सम्मान है। उनका अपमान मेरा अपमान है।अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने यूपी में ऐसा माहौल बना दिया है कि अस्पतालों में इलाज, थानों में रिपोर्ट लिखने से पहले जाति पूछी जा रही है। भाजपा के अहंकार को समाप्त करने को बसपा व सपा का मिलना जरुरी था। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के हर कार्यकर्ता से कहा कि वह लोग बसपा अध्यक्ष मायावती का सम्मान करें। इतना ही नहीं अगर कोई भी इनके सम्मान में कुछ कहता है तो खुलकर विरोध करें। आप लोग यह समझें कि यह बहन मायावती का नहीं मेरा अपमान है।

हालांकि इस प्रेस कांफ्रेस में हमें ऐसा नज़ारा भी देखने को मिला जो शायद पहले कभी नहीं हुआ था। प्रेस कांफ्रेंस में अखिलेश कागज़ पर लिखी हुई स्पीच पढ़ते हुए नज़र आए। आज से पहले शायद ही कभी अखिलेश किसी का लिखा हुआ पढ़ते नज़र आएं हों।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH