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क्या होगा अगर पाकिस्तान ने दिल्ली पर परमाणु बम गिरा दिया तो…

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। भारत ने इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान को ठहराया है क्योंकि इस हमले का मास्टरमाइंड जैश सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान में बैठा है। मसूद अजहर ने पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की शह पर ही इस हमले को अंजाम दिया है। इस घटना के बाद से ही भारत-पाक के बीच तनाव अपने चरम पर है। विभिन्न टीवी चैनल्स, वेबसाइट्‍स और सोशल मीडिया देश के लिए मरने-मारने को उबल रहे हैं।

फेसबुक, ट्विटर सहित कई प्रतिष्ठित वेबसाइटों पर इस मुद्दे पर चलाए गए कई पोल-बहस में जनता का मानना है कि चाहे परमाणु युद्ध हो जाए लेकिन इस बार आर-पार की लड़ाई हो ही जाए। रक्षा विशेषज्ञों द्वारा भी आशंका जताई जा रही है कि यदि भारत पाकिस्तान पर कोई कठोर सैनिक कार्यवाई करता है तो यह पूर्णकालिक युद्ध का रूप ले सकती है। इसका अंत एक भयानक परमाणु युद्ध हो सकता है। अगर दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध हो गया तो दुनिया की जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा यानी की करीब 2 अरब से अधिक लोगों की मौत हो सकती है।इतना ही नहीं इस युद्ध से मानव सभ्यता का अंत भी हो सकता है।

परमाणु बम का इस्तेमाल हुआ तो क्या होगा?

अगर पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार से नई दिल्ली पर हमला करता है तो सिम्यूलेटर के हिसाब से यह अधिक प्रलयंकारी होगा। पाकिस्तान का परमाणु हथियार अगर कनॉट प्लेस पर गिरता है तो 6,56,070 लोग अपनी जिंदगी तुरंत खो देंगे और 15,28,490 से भी ज्यादा लोग घायल होंगे। जामा मस्जिद, पुराना किला, संसद भवन और राष्ट्रपति भवन का अस्तित्व ही इस हमले से खत्म हो जाएगा।

भारत और पाकिस्तान का हर न्यूक्लियर बम करीब 15 किलोटन का है। ऐसा ही एक बम अमेरिका ने हिरोशिमा में गिराया था, जिसका असर बरसों तक रहा।

अगर किसी युद्ध में दोनों तरफ से मिलाकर 100 बम इस्तेमाल कर दिए जाएं तो कम से कम 2.1 करोड़ लोग मारे जाएंगे।

ऐसे 100 न्यूक्लियर बम का इस्तेमाल धरती की आधी ओजोन लेयर को खत्म कर देगा। जिसके बाद पूरी दुनिया ऐसी बीमारियों की चपेट में आएगी, जिनके बारे में हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते।

पूरा एशिया काले धुएं के आगोश में समा जाएगा। ये धुआं कई सालों तक स्ट्रेटोस्फेयर में रहेगा और सूरज की रौशनी ठीक से धरती पर नहीं पहुंच पाएगी।

पूरी दुनिया एक ‘परमाणु शीत (न्यूक्लियर विंटर)’ के चपेट में आ जाएगी। मॉनसून और खेती का चक्र तबाह हो जाएगा। बचे हुए लोगों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH