नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के इटावा जंक्शन में शुक्रवार को वो दृश्य ताज़ा हो गए जब महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेदी टिप्पणी करते हुए ट्रेन से उतार दिया गया था। नज़ारा बिलकुल वैसा ही था बस यहां महात्मा गांधी की जगह आज के गांधी थे। दरअसल, यहां शताब्दी एक्सप्रेस का कन्फर्म टिकट होने के बाद भी कोच कंडक्टर ने एक वृद्ध को कोच में सिर्फ इसलिए एंट्री नहीं करने दी क्योंकि उसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरह धोती को अपने शरीर से लपेट रखा था और पैर में रबर की चप्पल पहन रखी थी।
दरअसल, बाराबंकी के मूसेपुर थुरतिया के रहने वाले बाबा रामअवध दास ने इटावा जंक्शन से गाजियाबाद के लिए गुरुवार 4 जुलाई को कानपुर से नई दिल्ली के लिए शताब्दी एक्सप्रेस (12033) में ऑनलाइन टिकट बुक करवाया था। ट्रेन के C-2 कोच में 72 नंबर सीट कंफर्म थी, ट्रेन जब सुबह 7:40 बजे इटावा आई तो वह निर्धारित कोच में चढऩे लगे तभी गेट पर मौजूद सिपाही ने उनको रोक लिया। इस दौरान कोच कंडक्टर ने बाबा को ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया।
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि कहा कि मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं लेकिन सफाई देते हुए उन्होंने घटना को नकारने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यहां पर पहनावे के आधार पर भेदभाव की बात गलत है। उन्होंने कहा कि बाबा गलती से जेनरेटर यान में चढ़ने का प्रयास कर रहे थे जिस पर आरपीएफ के जवान के उन्हें उनके कोच में जाने को कहा। चूंकि यहां पर ट्रेन का ठहराव केवल 2 मिनट का है इसलिए जब तक वह अपने कोच तक पहुंचते ट्रेन चल दी। बाद में बाबा को स्टेशन मास्टर ने दूसरी ट्रेन से गाजियाबाद भेजने की बात कही लेकिन वो गुस्से में बस से ही गाजियाबाद चले गए।