लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आगरा में कार को रास्ता न देने पर वज्र वाहन के सिपाही चालक की वर्दी उतरवाकर कोर्ट में खड़ा रखने वाले जज का तबादला कर दिया गया है। उन्हें महोबा जाने का आदेश दिया गया है। घटना शुक्रवार दोपहर की है। जब वज्र वाहन जिला कारागार से किशोर कैदियों को लेकर मलपुरा क्षेत्र के सिरोली रोड पर स्थित किशोर न्यायलय बोर्ड जा रहा था, उसी दौरान पीछे से किशोर न्यायालय बोर्ड के जज संतोष कुमार यादव अपनी कार से आ रहे थे। जज की कार के चालक ने साइड देने के लिए हॉर्न और हूटर का इस्तेमाल किया, लेकिन सिपाही चालक ने जज की गाड़ी को साइड नहीं दी। थोड़ी देर में वज्र वाहन कोर्ट पहुंचा। उसके पीछे जज भी अपनी कार से पहुंचे।
जज ने वज्र वाहन चालक को बुलाया और साइड न देने के लिए जमकर फटकार लगाई और चालक की वर्दी भी उतरवा दी। इस घटना के वक्त कोर्ट परिसर में काफी लोग भी मौजूद थे। वहां मौजूद किसी शख्स ने इस बात की जानकारी कंट्रोल रूम को दी। वहीं, मामला सामने आने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने इस पूरे मामले को गंभीरतापूर्वक लिया और उन्होंने भी ट्वीट कर कहा कि इस पूरे मामले को उचित स्तर पर उठाया जाएगा। इस पूरे मामले पर आगरा के एसएसपी बबलू कुमार का कहना था कि कॉन्स्टेबल ड्राइवर घूरेलाल ने आरोप लगाया है कि कोर्ट में जज ने उनका अपमान किया है। जज ने कार को रास्ता नहीं देने पर दंड स्वरूप उन्हें वर्दी, टोपी और बेल्ट उतारने और आधे घंटे तक खड़ा रहने के लिए बाध्य किया।
एसएसपी का यह भी कहना था कि कॉन्स्टेबल घूरेलाल एवं उनके साथ के सभी पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए हैं और वह जज के खिलाफ शिकायत की कॉपी आगरा के जिला जज, इलाहाबाद हाई कोर्ट के महाधिवक्ता और प्रशासनिक जज को भेज दी गई है। जिसके बाद शनिवार को हाईकोर्ट ने जज का तबादला कर दिया।