नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय फ्रांस में हैं और वहां पर जारी G-7 समिट में अतिथि के तौर पर हिस्सा लेने पहुंचे हैं। दरअसल, कुछ दिन पहले भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर जो फैसला लिया और उसके बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप या अमेरिकी प्रशासन की ओर से जो बयान दिए गये उस बीच ये मुलाकात बहुत ही मायने रखती है। ट्रंप कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की बात करते आए हैं, लेकिन अपनी बात से पलटते हुए भी नजर आए हैं।
बीते दिनों इमरान खान के सामने ट्रंप ने कहा था कि वह कश्मीर मसले पर मध्यस्थता को तैयार हैं और इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी से भी बात की है। ट्रंप के इस कथन पर काफी बवाल हुआ, भारत सरकार ने इसपर सफाई दी और बाद में ट्रंप के इस कथन को झूठा करार कर दिया। भारत सरकार के जवाब के बाद अमेरिका के कई सीनेट, व्हाइट हाउस की तरफ से सफाई दी गई और बताया गया कि जम्मू-कश्मीर का मसला भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है, इसमें तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।
अपने पहले कथन के बाद जब विवाद हुआ तो डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर इसपर बयान दिया और कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री उन्हें मध्यस्थता के लिए कहते हैं तो वह इसके लिए तैयार हैं। यानी वह अपनी उस बात से पलट गए हैं, जहां उन्होंने मोदी के द्वारा पेशकश का दावा किया था। और हाल ही में उन्होंने फिर इस बात को दोहराया और मध्यस्थता के लिए तैयार रहने को कहा। गौरतलब है कि भारत हर बार और दुनिया के हर मंच पर इस बात को साफ कर चुका है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर जो भी विवाद है वह भारत-पाकिस्तान के बीच का है, अनुच्छेद 370 को लेकर जो फैसला है वह भारत का आंतरिक मसला है।