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जम्मू-कश्मीर से आई पहली दुर्घटना की खबर, जैश-ए-मोहम्मद ने दो लोगों को किया अगवा

जम्मू-कश्मीर- 5 अगस्त 2019 हिंदुस्तान के लिए एक बहुत बड़ा दिन साबित हुआ क्योंकि 70 सालों से चले आ रहे कश्मीर के भारत में विलय के मुद्दे पर फुल स्टॉप लग चुका था। मोदी सरकार में देश के ग्रहमंत्री अमित शाह ने इस बात का एलान किया तो पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। कही ढोल-नगाड़े बजे तो कही लोग एक दुसरे का मुँह मीठा कराते नज़र आए।

और आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं जिस मामले को लेकर कभी दूसरी सरकारों ने साँस तक नही ली अचानक एक सरकार ने उस मामले को चलता ही कर दिया। यह हर हिंदुस्तानी के लिए एक गौरवशाली पल था।

मगर हर सिक्के के दो पहलू होते है एक अच्छा तो एक बुरा, इस फैसले को यूँ ही नहीं सुना दिया गया इसके लिए पहले से काफी भूमिका तैयार की गई।

सरकार को मालूम था कि अनुछेद 370 हटते ही कश्मीर का माहौल बिगड़ सकता है, आतंकी संगठन और अलगाववादी नेता सरकार के विरोध में नवजवानो को गुमराह कर उनके हाथों में पत्थर थमा घाटी में जान-माल का नुकसान करवा सकते है। इसके मद्देनज़र सरकार ने भारी सैन्य बल कश्मीर में तैनात कर दिया और दुरसंचार और इंटरनेट की सुविधाओं पर भी रोक लगवा दी।

वहाँ मौजूद नेताओं को नज़र बंद करवाया गया। घाटी में किसी तरह कोई घटना ना हो सरकार ने इसके लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन एहतियात वरते और कामयाब भी रही।

लेकिन धारा 370 हटने के 22 दिनों बाद पहली घटना सामने आई है जहाँ जैश-ए-मोहम्मद के हथियार बंद आतंकियों ने पुलवामा जिले के त्राल में वनक्षेत्र से राजौरी जिला निवासी अब्दुल कदीर कोहली और श्रीनगर के खोनमोह निवासी मंजूर अहमद को किडनैप कर लिया।

इस घटना की जानकारी जम्मू पुलिस के एक प्रवक्ता ने दी और बताया की यह घटना सोमवार शाम करीब 7:30 बजे की है। हालांकि बाद में इन दोनों की तलाश करने के लिए एक सर्च ऑपरेशन चलाया गया और इसी दौरान गायब हुए दो व्यक्तियों में से कदीर कोहली की लाश जंगल से बरामद हुई और पता चला कि उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब्कि दूसरा शख्स मंजूर अहमद अबतक लापता है।

वैसे पाबंदियों के चलते कश्मीर में आम जन-जीवन अभी भी प्रभावित है। पुलिस का कहना है कि ज़्यादातर हिस्सों से रोकथाम हटा दी गई है लेकिन सुरक्षाबलों की तैनाती एहतियातन तौर पर की गई है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH