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180 दिनों तक वो रोज़ मेरा रेप करते रहे, जब तक में बेहोश नहीं हो जाती थी – पीड़िता

नादिया उन तमाम लड़कियों में एक हैं जिन्हें आईएसआईएस के आतंकवादियों ने शारीरिक प्रताड़ना दी। नादिया उत्तरी इराक के सिंजर पहाड़ियों में के एक याजीदी गांव में पैदा हुई लड़की है। वो जब 21 साल की थी, तब एक चरमपंथी समूह ने उनके गांव पर हमला कर दिया था।

नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस एंडरसन ने नामों की घोषणा करते हुए कहा था कि मुराद को यौन हिंसा को युद्ध हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के उसके कामों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए संयुक्त रूप से चुना गया है।

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इसके साथ ही गांव की अन्य लड़कियों की तरह नादिया को भी सेक्स स्लेव बना दिया गया। नादिया को करीब छ महीनों तक आईएसआईएस के लड़ाकों के बीच काफी मुश्किलों से रही। उनके चंगुल से छुटने के बाद नादिया ने अपने साथ हुए अपराध को अपनी ताकत बनाया और वो याजीदी लोगों के लिए कार्यकर्ता के रूप में सामने आई और इन अपराधों से बड़ी लड़ाई लड़ी।

नादिया ने अपनी पुस्तक ‘द लास्ट गर्ल : माई स्टोरी ऑफ कैप्टिविटी एंड माई फाइट अगेंस्ट द इस्लामिक स्टेट’ में बताया है कि आईएस के आतंकवादी मुराद से सेक्स स्लेव का काम लेते थे, बेहोश होने तक ISIS के आतंकी उससे रेप करते थे। आईएस के लड़ाके उससे अपनी हवस की भूख शांत करते थे।

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