लखनऊ। अखिलेश राज में जल निगम में अवर अभियंता (जेई) के 853 और लिपिक के 335 पदों पर हुई भर्तियां योगी सरकार ने निरस्त कर दी हैं। भर्ती में अनियमितता पाए जाने के बाद योगी सरकार ने ये फैसला लिया है। इतना ही नहीं योगी सरकार इस मामले में एफआईआर कराने की तैयारी में भी है। साक्षात्कार के लिए गठित सात बोर्ड के 35 सदस्यों के खिलाफ भी एफआईआर होगी। भर्ती प्रक्रिया में खर्च हुए सरकारी धन की रिकवरी दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों से की जाएगी। अभी तक की पड़ताल में 175 लोगों के खिलाफ अनियमितता के सुबूत मिले हैं। इनकी उत्तर पुस्तिकाओं में नंबरों व अन्य प्रविष्टियों को लेकर छेड़छाड़ की बात सामने आई है।
मुख्य अभियंता ने अवर अभियंता परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की विभाग की वेबसाइट पर अपलोड सूची तथा पहली जनवरी 2017 और दो जनवरी 2017 को जारी नियुक्ति आदेशों को निरस्त कर दिया है। साथ ही इन नियुक्तियों को नियुक्ति तिथि से ही शून्य घोषित कर दिया है। अवर अभियंता (सिविल/विद्युत यांत्रिक) के इन पदों पर भर्ती का विज्ञापन 28 अक्टूबर 2016 को जारी किया गया था।
आनलाइन आवेदन करने वाले कुल 61452 अभ्यर्थियों में से 853 को सफल घोषित किया गया था। जांच में पता चला कि सेवा प्रदाता कंपनी मेसर्स एपटेक लिमिटेड ने बड़े पैमाने पर धांधली की। मुख्य अभियंता ने नैत्यिक लिपिकों के 335 पदों पर हुई नियुक्तियों को भी निरस्त कर दिया है। इन पदों पर भर्ती का विज्ञापन 18 जून 2016 को जारी किया गया था।