नई दिल्ली। भारत में लागू हुए नागरिकता कानून का विरोध करने वालों में पाकिस्तान के साथ जो देश शामिल था उनमें ईरान का नाम भी था। ईरान ने तो यहां तक कह दिया था कि भारत मुसलमानो पर अत्याचार करना बंद करें, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों से संकट में घिरा ईरान भारत से मदद मांग रहा हैं। अब उसको अपनी औकात का पता चल गया हैं।
आपको बता दें की ईरानी राष्ट्रपति हसन रुहानी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई वैश्विक नेताओं को पत्र लिखा, जिसमें COVID-19 से लड़ने के प्रयासों को अमेरिकी प्रतिबंधों से प्रभावित होने की बात कही गई है। राष्ट्रपति हसन रुहानी ने अपने पत्र में जोर देकर कहा कि कोरोनो वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय उपायों की आवश्यकता है। उन्होंने इस महामारी से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया। साथ ही साथ भारत से गुहार लगाई की भारत उसकी मदद करें।
रुहानी ने अपने पत्र में लिखा है, ‘वायरस कोई सीमा नहीं पहचानता और राजनीतिक, धार्मिक, जातिगत और नस्लीय अवधारणाओं से ऊपर उठकर लोगों की जान लेता है।’ इसी मामले में ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने एक ट्वीट में लिखा, जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी से हड़कंप मचा है, ऐसे नाजुक वक्त में अमेरिका का प्रतिबंध लगाना बेहद अनैतिक है। उन्होंने लिखा है, राष्ट्रपति रुहानी ने दुनिया के अपने समकक्षों को पत्र लिखकर अमेरिकी प्रतिबंधों पर वैश्विक नेताओं का ध्यान खींचा है। उन्होंने कहा है कि बेगुनाहों की जान जाते देखना घोर अनैतिक है। वायरस न तो राजनीति देखता है न भूगोल, इसलिए हमें भी ऐसा नहीं देखना चाहिए।
ईरानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, ईरानी राष्ट्रपति ने विश्व नेताओं को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उनके देश ने दो साल के व्यापक और अवैध प्रतिबंधों से उत्पन्न गंभीर बाधाओं और प्रतिबंधों का सामना किया है। इसके बावजूद अमेरिका कोरोनो वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद भी ईरान पर दबाव बनाने से बाज नहीं आ रहा