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ठेले पर परिवार को बैठाकर सैकड़ों किमी के सफर पर पैदल ही निकल पड़ा छोले भटूरे वाला

लखनऊ। कोरोना से बचने के लिए पीएम मोदी द्वारा 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा के बाद सबसे बुरी हालत मजदूरों की है जो मजदूरी करने अपना घर छोड़कर दूसरे शहरों में हैं। खाने पीने की कोई व्यवस्था न होने पर ये लोग पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं। कोई 200 किमी तो 500 किमी के सफर पर पैदल ही निकल पड़ा है।

औरया के रहने वाने राजेश कुमार कानपुर से अपने परिवार को छोले भटूरे के ठेले पर बैठकर ही घर की ओर चल दिए। वह शुक्रवार दोपहर करीब 1:30 बजे औरैया के जालौन चौराहे से गुजरे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। राजेश के काफी कहने के बाद भी पुलिस उन्हें आगे भेजने के लिए तैयार नहीं हुई।

कोलकाता से 512 किमी का सफर पैदल चलकर भागलपुर पहुंचे सहरसा सोनवर्षा के 23 लोगों का गर्मी और भूख से बुरा हाल था। शुक्रवार को चिलचिलाती धूप में बायपास और फिर विक्रमशिला पुल को पार करना उनके लिए चुनौती थी। किसी के पांव में छाले पड़ गए थे तो कोई लंगड़ा कर चल रहा था। शाम ढलते-ढलते इन्हें महेशखूंट पहुंचना है। रात में आराम के बाद ये लोग शनिवार को सहरसा के लिए निकलेंगे।

हुगली जिले के नेताजी मोड़ भद्दोपट्टी में रहकर काम करने वाले दिलीप महतो बताते हैं कि 10 दिनों से कोई काम नहीं था। खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था। जहां पर काम कर रहे थे, उसने जाने के लिए कह दिया। ट्रेन और बस नहीं चलने से उनलोगों ने पैदल ही घर पहुंचने को ठाना। 23 लोग एकजुट होकर निकल पड़े। रास्ते में बंगाल और झारखंड की पुलिस ने मदद की। खाने के लिए सामान दिया। रात में रुकने के लिए धर्मशाला की व्यवस्था कर दी। रंजन कुमार, सोने लाल, सुभाष, अमरजीत, अरुण महतो पत्थर-गिट्टी तोड़ने वाली मशीन पर काम करते हैं। उन्होंने बताया कि कोलकाता में बिहारी लोग खाने के लिए तरस रहे हैं। अगर हमलोग हिम्मत करके नहीं निकलते तो भूख से मर जाते।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH