नई दिल्ली। कोरोना पर जीत हासिल करने के लिए दुनिया को दक्षिण कोरिया से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। दक्षिण कोरिया में अभी तक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जो भी उपाय अपनाए गए हैं, उनमें लॉकडाउन शामिल नहीं है। बिना लॉकडाउन के ही दक्षिण कोरिया इस महामारी से लड़ने में और देशों से कहीं आगे है। लेकिन वही दक्षिण कोरिया कोरोना से लड़ने में भारत का भी लोहा मान रहा है।
इस बारे में इंटरनेशनल वैक्सीन इंस्टीट्यूट (IVI) के महानिदेशक डॉ. जेरोम किम ने कहा है कि भारत को एक बड़ी भूमिका निभानी है, केवल अपनी आबादी के चलते नहीं बल्कि हम जानते हैं कि भारत का अपना बहुत महत्वपूर्ण वैक्सीन विनिर्माण उद्योग है। बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए दुनिया भर में उपयोग किए जाने वाले लगभग 70% टीके भारत में बनाए जाते हैं। दुनिया में लगभग हर बच्चे को भारत में विकसित टीका लगा होगा और यह बेहद महत्वपूर्ण बात है।
उन्होंने आगे कहा, ‘इसका मतलब है कि भारतीय कंपनियां प्रति वर्ष एक अरब टीके विकसित करती हैं और हमें इस तरह की क्षमता की जरूरत है ताकि हम कोरोना की वैक्सीन को केवल अमेरिका और यूरोप ही नहीं दुनिया भर के ज़रुरतमंद लोगों तक पहुंचा सकें।हमें ऐसे कंपनियों की जरुरत है, जिनके पास बड़े पैमाने पर वैक्सीन तैयार करने की क्षमता हो साथ ही उन्हें यह भी पता हो कि वैक्सीन बनानी कैसे है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ. जेरोम किम ने कहा कि भारत में बेहतरीन विश्वविद्यालय, बेहद प्रतिभाशाली एवं बुद्धिमान लोग और संपन्न जैव प्रौद्योगिकी उद्योग है और इन सभी संसाधनों को कोरोना से मुकाबले के लिए हथियार के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। भारत के पास इस 100 वर्षों की सबसे बड़ी महामारी से निपटने में योगदान करने के लिए काफी कुछ है।