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विकास दुबे एनकाउंटर: पुलिस वालों पर चलेगा हत्या का केस, कोर्ट में साबित करना होगा कि जान बचाने के लिए की थी फायरिंग

कानपुर। यूपी के कानपुर में आठ पुलिस वालों के हत्यारे विकास दुबे को एसटीएफ ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया है। कुछ लोग जहां इस एनकाउंटर को सही ठहरा रहे हैं तो कुछ इसपर सवाल भी खड़े कर रहे है। अब पुलिस को कोर्ट में इस एनकाउंटर को सही साबित करना होगा वर्ना उनपर हत्या का केस चलेगा। पुलिस का कहना है कि गैंगस्टर विकास दुबे को एसटीएफ उत्तर प्रदेश लखनऊ टीम द्वारा पुलिस उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी गाड़ी से लाया जा रहा था।

यात्रा के दौरान कानपुर नगर के सचेण्डी थाना क्षेत्र के कन्हैया लाल अस्पताल के सामने पहुंचे थे कि अचानक गाय-भैंसों का झुंड भागता हुआ रास्ते पर आ गया। लंबी यात्रा से थके ड्राइवर ने इन जानवरों से दुर्घटना को बचाने के लिए अपनी गाड़ी को अचानक मोड़ने की कोशिश की। जिसके बाद ये गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई। इस गाड़ी में बैठे पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटें आईं। इसी बीच विकास दुबे अचानक हालात का फायदा उठाकर घायल निरीक्षक रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया। वह दुर्घटनाग्रस्त सरकारी वाहन से निकलकर कच्चे रास्ते पर भागने लगा। जिसके बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी।

एनकाउंटर के बाद पुलिस को साबित करना होता है कि उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए गोली चलाई थी। लेकिन अगर ये साबित नहीं होता है तो पुलिस को सजा भी दी जाती है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH