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विश्व हिंदी दिवस पर शुरू हुई आचार्य स्मृति विश्व यात्रा

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति रायबरेली की अमेरिका इकाई का शुभारंभ आज विश्व हिंदी दिवस पर (10 जनवरी 2021 रविवार) समारोह पूर्वक हुआ. ऑनलाइन उद्घाटन कार्यक्रम में भारत और अमेरिका के हिंदी के विद्वानों और सेवियो ने प्रतिभाग किया.

समिति की अमेरिका इकाई की संयोजक श्रीमती मंजू मिश्रा ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि आचार्य द्विवेदी की स्मृतियों की यह नई विश्व यात्रा आज  विश्व हिंदी दिवस के महत्वपूर्ण दिन पर प्रारंभ हो रही है. अमेरिका इकाई का संकल्प है कि आचार्य द्विवेदी के बनाए हुए पथ पर चलकर हम हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठापित करेंगे. आचार्य स्मृति भी अभियान को विश्वव्यापी बनाया जाएगा. हर 3 महीने में आचार्य द्विवेदी पर केंद्रित चर्चा-परिचर्चा होगी और आचार्य जी के जन्म दिवस 9 मई के उपलक्ष में भारतीय प्रवासी भारतीयों के बच्चों की ऑनलाइन प्रतियोगिताएं करा कर भावी पीढ़ी में हिंदी के बीच रोपित किए जाएंगे.

समारोह में बतौर मुख्य वक्ता सप्रे संग्रहालय-भोपाल के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने आचार्य द्विवेदी के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य जी ने अपने जीवन और सरस्वती के संपादन के जो नियम सिद्धांत स्वयं तय किए उनका पूरा जीवन पालन किया. स्वाध्याय का सबसे कठिन व्रत भी उन्होंने ताजिंदगी नहीं छोड़ा. सरस्वती को केवल साहित्य नहीं वरन सकल ज्ञान की पत्रिका बनाया और विविध विषयों पर उन्होंने सरस्वती में लेख खुद लिखे और दूसरे समकालीन लेखकों से भी लिखवाए.

हिंदी के अमेरिकी विद्वान डॉक्टर पीटर नेपसिक ने हिंदी सीखने के अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भारतीय संगीत में रुचि थी. सितार और गिटार सीखने भारत आया था यहां हिंदी के प्रति ललक बढ़ गई. आज अमेरिका में हिंदी और उर्दू पढ़ाने का अवसर वेक यूनिवर्सिटी में मिल रहा है. शुरू में हिंदी सीखने में दिक्कत हुई लेकिन हिंदी बहुत प्यारी भाषा है. संस्कृत और वेदों पर शोध करने वाली अमेरिकी हिंदी विद्वान प्रोफेसर गैब्रिएला निक ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि वह ड्यूक यूनिवर्सिटी में संस्कृत अनुभव के आधार पर पढ़ाती हैं ना कि कार्यों पर लिखकर. उन्हें यह सौभाग्य है कि छात्र एवं शिक्षकों को संस्कृत हिंदी का प्रशिक्षण देने का दायित्व मिल गया है. उन्होंने कहा कि आपसी सहयोग से ही हिंदी को विश्व भाषा के रूप में स्थापित किया जा सकता है.

आचार्य द्विवेदी के उत्तराधिकारी और सरस्वती के नए प्रधान संपादक प्रोफेसर देवेंद्र कुमार शुक्ला ने कहा कि सरस्वती के संपादन का शुभ अवसर इंडियन प्रेस में हमें प्रदान किया है. हमारी कोशिश होगी कि आचार्य द्विवेदी के बनाए हुए रास्ते और सिद्धांतों  पर चलकर ही सरस्वती को पुनः प्रतिष्ठापित किया जाए. उन्होंने विदेशों में रह रहे हिंदी विद्वानों से सरस्वती के लिए लेख रचनाएं भी आमंत्रित की. इसका सभी ने करतल ध्वनि से स्वागत भी किया.

उद्घाटन समारोह में आचार्य द्विवेदी समिति की ओर से गौरव अवस्थी ने अब तक समिति द्वारा सभी के सहयोग से किए गए कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत किया. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया श्रीमती मंजू मिश्रा के संयोजन में तैयार हुई अमेरिका टीम की सदस्यों श्रीमती रचना श्रीवास्तव, डॉ कुसुम नेपसिक, डॉक्टर ममता त्रिपाठी एवं श्रीमती शुभ्रा ओझा जी के संकल्पों की बदौलत समिति की अमेरिका इकाई भविष्य में विश्व की सबसे सर्वोच्च हिंदी हितैषिणी संस्था के रूप में ख्याति अर्जित करेगी.

समारोह में अमेरिका में रह रहे सोनाली और अन्या ने सुमधुर कंठ से सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया. समारोह का  सारगर्भित संचालन लेखिका उद्घोषक श्रीमती रचना श्रीवास्तव ने किया. समारोह में समारोह में मुख्य अतिथि श्री राम बहादुर राय अध्यक्ष इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली खराब स्वास्थ्य के चलते उपस्थित नहीं हो पाए. उनके पूर्ण रूप से स्वस्थ होने की प्रार्थना भी की गई. समारोह में अमेरिका की वरिष्ठ हिंदी लेखिका श्रीमती शकुंतला बहादुर श्रीमती चंचला प्रियदर्शिनी भाव्या सिंह, रेखा मित्रा एवं भारत से वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह साहित्यकार श्रीमती कुसुम लता सिंह समिति के अध्यक्ष विनोद शुक्ला शेफाली सुरभि शोध छात्रा रजिता दुबे उपस्थित रही.

प्रवासी  भारतीय सम्मान से सम्मानित नीलू गुप्ता को सब ने दी बधाई

आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिका इकाई के शुभारंभ पर कार्यक्रम मैं इसी वर्ष भारतीय प्रवासी सम्मान से सम्मानित की गई हिंदी सेवी नीलू गुप्ता भी मौजूद रहे. राष्ट्रपति से सम्मान मिलने की उपलब्धि पर सभी उपस्थित लोगों ने नीलू गुप्ता जी को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की. उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व हिंदी दिवस पर आचार्य द्विवेदी समिति के अमेरिका चैप्टर के शुभारंभ अवसर पर भारत सरकार से प्रवासी सम्मान मिलने की बधाइयां हमारी खुशी को कई गुना बढ़ाने वाली हैं हमारी पूरी कोशिश होगी कि आचार्य स्मृति अभियान को मैं भी अपना पूरा सहयोग प्रदान कर सकूं.

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH