नई दिल्ली। इस वर्ष संसद का पूरा शीतकालीन सत्र नोटबंदी के कारण हुए हंगामें की भेंट चढ़ गया। संसद के दोनों ही सदनों में बिल्कुल भी काम नहीं किया जा सका, इस हिसाब से संसद का यह सत्र पिछले 15 सालों में सबसे कम करने वाला सत्र रहा।
नोट बंदी पर सरकार और विपक्ष की सियासी खींचतान के कारण महज दो बिलों की चर्चा लोकसभा में की जा सकी। इसमें से एक बिल कराधान संशोधन बिल था तो दूसरा नि:शक्त व्यक्ति अधिकार बिल को शुक्रवार को किसी तरह आनन फानन पारित कराया गया।
संसद का यह सत्र पिछले 15 सालों में सबसे कम करने वाला सत्र रहा। सत्र के दौरान लोकसभा में काम का प्रतिशत 15.75 रहा तो राज्यसभा में यह 20।61 प्रतिशत था। शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से शुरू हुआ था। घंटों का हिसाब लगाया जाए तो लोकसभा ने हंगामे की वजह से 92 घंटे खोए और सिर्फ 19 घंटे काम किया।