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सरकार को प्रतिभा की तलाश के लिए गांवों तक जाना चाहिए : झाझरिया

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नई दिल्ली | देवेंद्र झाझरिया किसी परिचय के मोहताज नहीं। वह एकमात्र ऐसे एथलीट हैं, जिन्होंने भारत के लिए पैरालम्पिक खेलों में विश्व रिकार्ड के साथ दो बार स्वर्ण पदक जीता है। आज झाझरिया जिस मुकाम पर हैं, वहां दूसरे खिलाड़ियों को भी देखना चाहते हैं और इसी कारण वह चाहते हैं कि सरकार गावों में जाकर प्रतिभा की तलाश करे।

झाझरिया ने कहा कि देश में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचूर प्रतिभा है, ऐसे में सरकार को व्यापक कार्यक्रम के जरिए इस प्रतिभा को तलाशने और तराशने का काम करना चाहिए। झाझरिया के मुताबिक वह चाहते हैं कि बड़ी संख्या में पैरा एथलीट आगे आएं और देश के लिए मान -सम्मान हासिल करें।

झाझरिया ने कहा, “मेरा मानना है कि भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं हैं, बस उन्हें तलाशने और तराशने की जरूरत है। इसके लिए सरकार के साथ-साथ निजी कम्पनियों को भी खिलाड़ियों की मदद के लिए आना चाहिए। खासकर के ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे पास बहुत प्रतिभा है। और मैं चाहूंगा कि समाज के हर क्षेत्र से ऐसे ही खिलाड़ी आगे आते रहें और पदक जीतकर देश का मान बढ़ाते रहें।”

रियो ओलम्पिक में भाला फेंक स्पर्धा में विश्व रिकार्ड के साथ स्वर्ण जीतने वाले झाझरिया ने 2004 के एथेंस ओलम्पिक में भी इस स्पर्धा का स्वर्ण जीता था। इसके अलावा वह 2013 और 2015 आईपीसी विश्व चैम्पियनशिप में भी देश के लिए स्वर्ण जीत चुके हैं।

इंचियोन एशियाई पैरा खेलों में अपनी स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले झाझरिया ने रियो ओलम्पिक में अपने अनुभव के बारे में कहा, “जब हम पैरालम्पिक में खेलने रियो गए थे, तब थोड़ा सा माहौल ऐसा था कि क्या भारत पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीत पाएगा क्योंकि ओलम्पिक में हमारे एथलीट स्वर्ण पदक से चूक गए थे।”

झाझरिया ने कहा, “मैं उस टीम का ध्वजवाहक था और इसी कारण मैंने इसे अपनी जिम्मेदारी मानी कि मुझे ही देश को रियो में स्वर्ण पदक दिलाना है। मेरा साफ मानना था कि अगर मैं राष्ट्र ध्वज लेकर चल रहा हूं तो देश को स्वर्ण दिलाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मेरी थी।

राजस्थान के चुरू जिले के निवासी झाझरिया ने कहा कि पैरालम्पिक जब शुरू हुआ तो देश का पहला काम ऊंची कूद एथलीट मरियप्पन थांगावेलू ने किया। मरियप्पन ने ऊंची कूद में स्वर्ण जीता और फिर उसी दिन उसी स्पर्धा में वरुण सिंह भाटी ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। इसके बाद दीपा मलिक ने गोला फेक में रजत पदक जीता।

बकौल झाझरिया, “इसके बाद हमारा मनोबल काफी ऊंचा हो गया था। मेरा जब इवेंट था तब मैंने सिर्फ स्वर्ण के बारे में सोचा था। मैं सिर्फ यही सोचकर चल रहा था कि यहां मेरे देश का राष्ट्रगान बजना चाहिए। इसके बाद मैंने न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता बल्कि अपना ही 12 साल पुराना विश्व रिकार्ड ध्वस्त किया। मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूं कि मैं हिंदुस्तान का पहला खिलाड़ी हूं कि जिसने ओलम्पिक और पैरालम्पिक में दो व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते हैं।”

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