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अरुणाचल प्रदेश के 37वें स्थापना दिवस में भाग लेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

अरुणाचल प्रदेश आज अपना 37 वां राज्‍य स्थापना दिवस मना रहा है। इसे ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के दौरान और 1972 तक उत्‍तर-पूर्व सीमांत एजेंसी- नेफा के रूप में जाना जाता था। 1972 में यह केंद्रशासित प्रदेश बना और इसका नामकरण अरुणाचल प्रदेश किया गया। 20 फरवरी 1987 को इसे अरुणाचल प्रदेश अधिनियम 1986 के अंतर्गत राज्‍य का दर्जा दिया गया। और यह भारत का 24 वां राज्‍य बना। ईटा नगर कैपिटल सिटी के आई जी पार्क में राज्‍य समारोह आयोजित किया जाएगा।

राष्ट्रपति दौपर्दी मुर्मू इस समारोह में भाग लेंगी

राष्‍ट्रपति अरुणाचल प्रदेश के 37वें स्‍थापना दिवस में भाग लेंगी। वे ईटानगर में आज राज्‍य सरकार की ओर से अपने सम्‍मान में आयोजित स्‍वागत समारोह में भी शामिल होंगी। वे कल अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र को भी संबोधित करेंगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस समारोह में भाग लेंगी। जुलाई 2022 में राष्‍ट्रपति बनने के बाद यह उनकी अरुणाचल प्रदेश की पहली यात्रा होगी।

अरुणाचल प्रदेश में स्थापना दिवस समारोह

अरुणाचल प्रदेश में 20 फरवरी को राज्य स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत 1987 में राज्य का दर्जा दिए जाने के वर्ष में हुई थी। तीन दशकों से अधिक समय से, राज्य अपने राज्य के दर्जे का जश्न शैली में मनाता है। इस दिन राज्य में सार्वजनिक अवकाश होता है, और सरकारी कार्यालय और बैंक बंद रहते हैं। यह निवासियों को दिन के उत्सव के लिए नियोजित सभी घटनाओं में संलग्न होने के लिए आवश्यक समय देता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को  उनके राज्य स्थापना-दिवस पर दी बधाई

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा –

“अरुणाचल प्रदेश के लोगों को राज्य स्थापना-दिवस पर बधाई। अरुणाचल प्रदेश जीवंतता और देशभक्ति का पर्याय है। राज्य के लोगों ने अनेक क्षेत्रों में भारत की प्रगति में लगातार योगदान दिया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि अरुणाचल प्रदेश आने वाले वर्षों में प्रगति की नई ऊंचाइयां तय करता रहे।”

अरुणाचल प्रदेश के बारे में:

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

पश्चिम में अरुणाचल प्रदेश की सीमा भूटान से लगती है और इसके उत्तर में चीन का तिब्बती क्षेत्र पड़ता है।

इसके दक्षिण-पूर्वी भाग में नगालैंड और म्याँमार हैं, जबकि दक्षिण-पश्चिमी भाग में असम पड़ता है।

आबादी: अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर है।

 

राज्य की कुल साक्षरता दर (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार) 65.38% है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 72.55% और महिला साक्षरता दर 57.70% है।

राज्य का लैंगिक अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 938 महिलाएँ है (राष्ट्रीय लैंगिक अनुपात: 943)।

इस राज्य में 26 प्रमुख जनजातियांँ निवास करती हैं, इनमें लगभग 100 से अधिक उप-जनजातियांँ हैं, जिनमें से कई जनजातियों की पहचान नहीं की गई है। इस राज्य की लगभग 65% जनसंख्या आदिवासी है।

 

व्यवसाय: इस राज्य की अधिकांश आबादी अपनी आजीविका के लिये कृषि (मुख्य रूप से झूम खेती) पर निर्भर है।

 

अन्य नकदी फसलों जैसे- आलू आदि की खेती भी की जाती है।

बागवानी फसलें जैसे- अनानास, सेब, संतरा इत्यादि की खेती भी की जाती है।

जैव विविधता:

राजकीय पशु: मिथुन (जिसे गयाल के नाम से भी जाना जाता है)।

राजकीय पक्षी: हॉर्नबिल।

दिहांग दिबांग बायोस्फियर रिज़र्व भी इसी राज्य में स्थित है।

संरक्षित क्षेत्र:

नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान

मौलिंग नेशनल पार्क

सेसा ऑर्किड अभयारण्य

दिबांग वन्यजीव अभयारण्य

पक्के बाघ अभयारण्य

 

अरुणाचल के आदिवासी: अरुणाचल प्रदेश के महत्त्वपूर्ण जनजातीय समूहों में मोनपा, निशि, अपतानी, नोक्टे और शेरडुकपेन शामिल हैं।

 

मोन्पा: इन्हें पूर्वोत्तर की एकमात्र खानाबदोश जनजाति माना जाता है, जो पश्चिम कामेंग और तवांग ज़िलों में निवास करते हैं, ये मुख्य रूप से बौद्ध हैं जो महायान संप्रदाय का अनुशरण करते हैं।

अपतानी: ये पूर्व-आर्य मान्यताओं को मानते हैं, जैसा कि उनके द्वारा की जाने वाली पेड़, चट्टानों और पौधों आदि की पूजा से स्पष्ट है। वे मुख्य रूप से बाँस की खेती करते हैं।

नोक्टे: ये अरुणाचल प्रदेश के तिरप ज़िले में निवास करते हैं तथा थेरवाद बौद्ध धर्म और जीववाद का पालन करते हैं।

शेरडुकपेन: यह एक छोटा आदिवासी समूह है, यह समूह अरुणाचल प्रदेश के सबसे प्रगतिशील जनजातियों में से एक है। ये लोग कृषि, मछली पालन और पशु पालन का कार्य करते हैं। हालाँकि इन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया है, लेकिन इनकी अधिकांश प्रथाएँ अभी भी पूर्व-बौद्ध धर्म और अधिक जीववादी हैं।

निशि: यह अरुणाचल प्रदेश की सबसे अधिक आबादी वाली जनजाति है, ये लोग मुख्य रूप से झूम खेती करते हैं और चावल, बाजरा, ककड़ी, आदि का उत्पादन करते हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH