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बिकने जा रही रिलायंस कैपिटल के लिए लगेगी एक और बोली, NCLAT ने दी मंजूरी, दौड़ मे ये आगे

अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग प्रोसेस से गुजर रही है। साल 2022 में पहले दौर की बिडिंग में इस कंपनी के लिए कई बड़े कॉरपोरेट ग्रुप्स ने बोली लगाई है और इस रेस में सबसे आगे अहमदाबाद बेस्ड टोरेंट समूह है।

नेशनल कंपनी लॉ ​अपीलेट ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को अनिल अंबानी की बैंकरप्ट कंपनी रिलायंस कैपिटल के लिए एक और बोली की अनुमति दे दी है। कर्जदाता फर्म अब कंपनी की बिक्री के लिए एक और बोली प्राप्त कर सकते हैं। कर्जदाताओं ने एसीएलएटी के पास याचिका दायर की थी। इसमें कंपनी की नीलामी के लिए एक और बार बोली के लिए मांग की गई थी।

दोबारा नीलामी आमंत्रित करने के लिए दो सप्ताह का  दिया समय

आपको बता दें कि, दो सदस्यीय पीठ ने एनसीएलटी की ओर से पारित एक आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि कर्जदाताओं की समिति सीओसी के पास बातचीत करने और उच्च बोली के लिए बुलाने का अधिकार है। NCLAT ने

NCLAT ने एनसीएलटी का बदला फैसला

NCLAT का ये आदेश अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल के कर्जदाता में से एक विस्तारा आईटीसीएल इंडिया की ओर से दायर की गई याचिका पर आया है। इस याचिका में एनसीएलटी को आदेश को चुनौती दी गई थी। बता दें कि एनसीएलटी ने दूसरे बोली के लिए की गई मांग को मना कर दिया था और दोबारा बोली नहीं लगाने के लिए कहा था।

टोरेंट इंवेस्टमेंट ने लगाई थी सबसे बड़ी बोली

रिलायंस कैपिटल की पहले दौर की नीलामी के दौरान टोरेंट इंवेस्टमेंट ने 8,640 करोड़ रुपये की सबसे हाई प्राइस वाली बोली पेश की थी, जबकि बोली बाद ने हिंदुजा ग्रुप ने 8,950 करोड़ रुपये की बोली पेश की। ऐसे में टोरेंट इंवेस्टमेंटस ने एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) की ओर रुख किया था। एनसीएलटी ने कहा था कि वित्तीय बोलियों के लिए समय 21 दिसंबर 2022 को ही समाप्त हो गया था और 8,640 करोड़ रुपये टोरेंट इंवेस्टमेंट की सबसे अधिक बोली है।

टोरेंट ने 9 जनवरी को दायर की थी याचिका

टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स ने 9 जनवरी को एक याचिका दायर कर ट्रिब्यूनल से RCap के अधिग्रहण के लिए फिर से नीलामी आयोजित करने की कर्जदाताओं की योजना को रद्द करने की मांग की थी। बाद में IIHL ने भी NCLT के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की। रिलायंस कैपिटल पर करीब 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।

कंपनी पर 40 हजार करोड़ का कर्ज

रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इस गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के रूप में काम करने वाली कंपनी के बोर्ड को 29 नवंबर 2021 को बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने Bank Of Maharashtra के पूर्व कार्यकारी निदेशक नागेश्वर राव को प्रशासक नियुक्त कर दिया था। इसके अगले ही दिन केंद्रीय बैंक ने राव की मदद के लिए एक तीनसदस्यीय पैनल भी गठित कर दिया था। अब इसे बेचे जाने की पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं।

 

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH