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राम मंदिर के सवाल पर बिफरे संजय राउत, कहा- राम मंदिर किसी के बाप का है क्या

मुंबई। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने कहा है कि राम मंदिर किसी के बाप का है क्या? राम मंदिर के वे मालिक हैं क्या? राम सबसे बड़े हैं, राम से बड़ा कोई नहीं है। संजय राउत ने कहा कि भगवान राम हमारी आस्था का विषय हैं, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अयोध्या की लड़ाई 2014 से पहले हुई थी। जो लोग राम मंदिर के संघर्ष में नहीं थे उन्हें क्या पता कि बाल ठाकरे का क्या योगदान था। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस देश के लिए अपशगुन है। देखिए जम्मू कश्मीर, मणिपुर में क्या हो रहा है? ईवीएम है इसलिए बीजेपी है।

संजय राउत ने कहा कि राम मंदिर राजनीति का विषय नहीं है, यह हमारी अस्मिता और आस्था का विषय है। राम मंदिर के निर्माण में पूरे देश का योगदान है। उन्होंने कहा कि हजारों कारसेवक शहीद हुए और हजारों कारसेवको को फेंका दिया गया था। हमने देखा है। लेकिन कुछ लोग हैं जिनका भारत 2014 के बाद बना है। उन लोगों को इतिहास मालूम नहीं है कि अयोध्या की लड़ाई 2014 के पहले हुई है। जो लोग ना देश के स्वतंत्रता संग्राम में रहे है ना किसी आंदोलन और संघर्ष में रहे हैं तो उन्हें राम मंदिर का संघर्ष क्या पता? उसमें बालासाहेब ठाकरे जी का क्या योगदान रहा

उन्होंने कहा, ‘हम हिंदुत्व के भगोड़े नहीं हैं, हम आखरी तक लड़ते रहे हैं। यह लोगों के आस्था का विषय है। राम सबसे बड़े हैं और राम से बड़ा कोई नहीं लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसका इतिहास 2014 के बाद बताती है। वह अपने आप को प्रभु श्री राम से बड़े मानते हैं तो अगर हिंदुत्व की यह नई व्याख्यान उन्होंने बनाई होगी तो हमें मंजूर नहीं है। वहीं एनसीपी नेता शरद पवार के बारे में उन्होंने कहा कि वह सही हैं। कोई चेहरे की जरूरत नहीं है। अगर सिर्फ देश में तानाशाही होती है तो तानाशाह का राजनीतिक दल अपने तानाशाह का चेहरा सामने लाता है।

इजरायल दूतावास के पास ब्लास्ट की खबर पर संजय राउत ने कहा कि चिंता तो देश के गृह मंत्री को देश की करनी चाहिए। वह आज भी चुनाव मोड में हैं लेकिन संसद में कोई घुस जाता है तो उसपर जवाब नहीं आता। पूंछ में हमारे जवानों पर हमला होता है। छत्तीसगढ़ में एक उद्योगपति के लिए जंगल काटे जाते हैं। सरकार बदलने के बाद उसके ऊपर सरकार कोई बात नहीं करती। यह सरकार बात किसके ऊपर करेगी? अब राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तो होने दो.. स्वागत करेंगे हम.. लेकिन इस देश में और भी प्रश्न हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH