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जस्टिस जेएस खेहर ने ली भारत के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ

न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, भारत के 44वें प्रधान न्यायाधीश, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉलJ.S-Khehar
न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, भारत के 44वें प्रधान न्यायाधीश, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल
J.S-Khehar

भारत के 44वें प्रधान न्यायाधीश हैं जस्टिस खेहर

राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दरबार हाल में दिलाई शपथ

नई दिल्ली। न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने आज बुधवार को भारत के 44वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने न्यायमूर्ति खेहर को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। खेहर ने ईश्वर के नाम पर अंग्रेजी में शपथ ग्रहण की।

जस्टिस खेहर न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े विवादित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को निरस्त करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ का नेतृत्व कर चुके हैं।

शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष रहा गैरहाजिर

शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर विपक्ष की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। पिछले माह तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश यानी न्यायमूर्ति खेहर को अपने बाद इस पद पर नियुक्त किए जाने की सिफारिश की थी।

उनका कार्यकाल सात माह से कुछ अधिक होगा। वह 27 अगस्त तक इस पद पर रहेंगे। जस्टिस खेहड़ (64) सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रथम प्रधान न्यायाधीश होंगे। न्यायमूर्ति ठाकुर मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो गए थे।

न्यायमूर्ति खेहड़ उस पीठ की भी अध्यक्षता कर चुके हैं, जिसने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को खारिज कर दिया था। वह उस पीठ के भी सदस्य थे, जिसने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की दो कंपनियों में लोगों द्वारा निवेश किए गए धन की वापसी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान रॉय को जेल भेज दिया था।

वह नियमित कर्मचारियों जैसे कर्तव्यों का निवर्हन करने वाले दिहाड़ी मजदूरों, अस्थायी एवं अनुबंध कर्मचारियों के लिए ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत की पैरोकारी करने वाला अहम फैसला सुनाने वाली पीठ के भी अध्यक्ष रहे हैं।

हाई कोर्टों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दे पर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच तकरार तेज होने पर 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर न्यायमूर्ति खेहड़ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के आक्षेप पर कहा था कि न्यायपालिका अपनी ‘लक्ष्मणरेखा’ के बीच काम कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘न्यायपालिका भेदभाव और सरकारी शक्ति के दुरूपयोग से सभी लोगों, नागरिकों और गैर-नागरिकों की समान भाव से रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। देश में न्यायपालिका की अग्र-सक्रिय भूमिका के कारण ही भारत में नागरिकों की स्वतंत्रता, समानता और सम्मान पर्याप्त रूप से समृद्ध बने हैं।’

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